मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी!
नर्मदापुरम। प्रदेश में लगातार बढ़ रहे भ्रष्टाचार के मामलों ने शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला नर्मदापुरम जिले के आदिवासी अंचल केसला विकासखंड से सामने आया है, जहां एक विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (BRC) को लोकायुक्त पुलिस ने 5,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है।
इस कार्रवाई को भोपाल लोकायुक्त की टीम ने अंजाम दिया। शिकायतकर्ता प्राथमिक शाला सोमूखेड़ा के प्रधान पाठक देवेंद्र पटेल ने आरोप लगाया था कि BRC के.के. शर्मा क्षेत्र के विभिन्न शासकीय स्कूलों से मध्यान्ह भोजन, भवन मरम्मत, कूलर-पंखे जैसे संसाधनों के नाम पर अवैध वसूली कर रहे थे।
प्रधान पाठक ने बताया कि शर्मा ने पांच स्कूलों से कुल मिलाकर 5,000 रुपये की मांग की थी, जो उन्हें दिए भी गए। इसके बावजूद शर्मा की ओर से बार-बार राशि की मांग की जा रही थी, जिससे तंग आकर पटेल ने भोपाल लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।
शिकायत की पुष्टि के बाद लोकायुक्त निरीक्षक रजनी तिवारी के नेतृत्व में टीम ने गुरुवार को जाल बिछाते हुए BRC शर्मा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
प्रदेश में शिक्षा विभाग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले सामने आना न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह संकेत भी है कि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचने में किस हद तक बाधित हो रहा है।