भोपाल|मध्यप्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में पारदर्शिता लाने और गड़बड़ियों पर लगाम कसने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब राशन लेने के लिए किसी कार्ड या दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी हर लाभार्थी परिवार की फेस आईडी बनेगी और चेहरा ही पहचान बनेगा।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, यह योजना फिलहाल प्रारंभिक चरण में है। जैसे ही ई-केवायसी की प्रक्रिया पूर्ण होती है, फेस आईडी एप्लिकेशन के लिए केंद्र सरकार से सब्सक्रिप्शन लिया जाएगा और तकनीकी क्रियान्वयन की प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी।
डिजिटल पहचान से खत्म होगी फर्जीवाड़े की गुंजाइश
राज्य में वर्तमान में लगभग 1.23 करोड़ परिवारों को प्रतिमाह 25 हजार उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से राशन वितरित किया जाता है। जबकि कुल पंजीकृत परिवारों की संख्या 1.31 करोड़ है। नई योजना के लागू होने के बाद वितरण प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और प्रमाणिक हो जाएगी।
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फेस आईडी के बाद हितग्राहियों को पर्ची या अन्य कागज़ी दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं रहेगी।
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आधार से लिंक किया गया चेहरा ही उनकी पहचान बनेगा।
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फर्जी राशन कार्ड और डुप्लीकेट लाभार्थियों की पहचान स्वत: समाप्त हो जाएगी।
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डीलर और उपभोक्ता के बीच संभावित मिलीभगत पर भी रोक लगेगी।
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नकली आधार नंबर और फिंगरप्रिंट के ज़रिए राशन वितरण की धोखाधड़ी असंभव हो जाएगी।
प्रणालीगत चुनौतियां भी हैं सामने
योजना भले ही तकनीकी रूप से प्रभावी हो, लेकिन इसके क्रियान्वयन में कई ज़मीनी चुनौतियां हैं—
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शहरी क्षेत्रों में पीडीएस डीलरों द्वारा गड़बड़ी की शिकायतें आम हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिवाइस की उपलब्धता और तकनीकी जागरूकता की कमी बड़ी बाधाएं बन सकती हैं।
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पीओएस मशीनों की खराबी और तकनीकी समस्याएं पहले से ही सामने आती रही हैं।
इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार को चरणबद्ध योजना बनाकर क्रियान्वयन करना होगा। यदि यह सिस्टम राज्य के सभी 55 जिलों में सफलतापूर्वक लागू हो गया, तो बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी और ‘एक राशन एक चेहरा’ की अवधारणा को मजबूती मिलेगी।
फैक्ट फाइल
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कुल पंजीकृत परिवार: 1,31,23,923
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वर्तमान में राशन प्राप्त कर रहे परिवार: 1,23,18,199
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ओटीपी से वितरण: 6,99,964
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पोर्टेबिलिटी के तहत लाभार्थी: 15,86,336
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ऑफलाइन वितरण: 2,92,047
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कुल वितरण प्रतिशत: 93.86%
उत्तरप्रदेश और हिमाचल से मिल रहा मार्गदर्शन
फेस आईडी और फैमिली आईडी आधारित प्रणाली पहले से ही उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में लागू है। यूपी के कई जिलों में यह व्यवस्था परीक्षण के तौर पर सफल रही है। वहां सरकार के अधिकृत पोर्टल पर परिवार का विवरण भरकर सबमिट करने के बाद जनरेटेड आईडी के आधार पर ही राशन प्राप्त किया जा रहा है।