संदिग्ध दवाओं के साथ बिना डिग्री चल रहे क्लीनिकों पर कार्रवाई तेज़
भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक फर्जी चिकित्सक द्वारा की गई हृदय सर्जरी के बाद सात मरीजों की संदिग्ध मौतों ने प्रदेशभर के स्वास्थ्य तंत्र को झकझोर कर रख दिया है। इस हृदयविदारक प्रकरण के बाद पूरे राज्य में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। राजधानी भोपाल में इस संदर्भ में बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने चार क्लीनिकों को सील कर दिया है, जिनमें कई बिना मान्यता और संदिग्ध दवाओं के साथ संचालित हो रहे थे।
सील किए गए क्लीनिकों में होशंगाबाद रोड का 'तथास्तु डेंटल क्लीनिक', ई-2 अरेरा कॉलोनी का 'स्किन स्माइल क्लीनिक', 'कॉस्मो डर्मा स्किन एंड हेयर क्लीनिक' और ई-4 क्षेत्र स्थित 'एस्थेटिक वर्ल्ड' शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, विशेष रूप से स्किन क्लीनिकों से बड़ी मात्रा में संदिग्ध दवाएं बरामद की गई हैं, जिनके स्रोत और गुणवत्ता की जांच की जा रही है।
भोपाल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. प्रभाकर तिवारी ने पुष्टि की है कि यह कार्रवाई दमोह की घटना के बाद प्रदेशभर में स्वास्थ्य मानकों को लेकर शुरू की गई व्यापक जांच का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "जो लोग बिना आवश्यक चिकित्सकीय डिग्री और पंजीयन के क्लीनिक चला रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
डॉ. तिवारी ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी फर्जी चिकित्सकों और अनाधिकृत स्वास्थ्य संस्थानों के विरुद्ध विशेष अभियान चलाया जाएगा। विभाग की टीम न सिर्फ डॉक्टरों की डिग्रियों की जांच करेगी, बल्कि अस्पतालों और क्लीनिकों में कार्यरत स्टाफ की योग्यता की भी जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि बीते दिनों दमोह के मिशन अस्पताल में दो महीनों के भीतर सात हृदय रोगियों की मौत का मामला सामने आया था। प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि वहां हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत चिकित्सक नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की डिग्री फर्जी पाई गई है।
इस मामले में दमोह कोतवाली थाने में धोखाधड़ी और संबंधित धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। रविवार देर रात तक चली जांच के बाद मामला पंजीबद्ध किया गया, वहीं सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम भी मामले की जांच के लिए दमोह पहुंची।
पुलिस अधीक्षक श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने जानकारी दी कि आरोपी चिकित्सक ने बिना मान्यता प्राप्त डिग्री के कई मरीजों की सर्जरी की, जिनमें से सात की मौत हो चुकी है। पूरे मामले को लेकर प्रदेश में चिकित्सा पेशे की साख पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।