मध्यप्रदेश के आगर जिले में सोमवार शाम एक अनोखा नजारा देखने को मिला, जब पुलिस सुरक्षा के बीच दो दलित दूल्हों की बारात धूमधाम से निकाली गई। बारात को रोकने की धमकियों के बाद प्रशासन को कड़े सुरक्षा इंतजाम करने पड़े। इस दौरान 15-20 पुलिसकर्मी दूल्हा-दुल्हन के परिवार और बारातियों की सुरक्षा में तैनात रहे। यह मामला रलायती और डाबला पीपलोंन गांव से जुड़ा है, जहां असामाजिक तत्वों ने बारात निकालने से रोकने की कोशिश की थी।
कैसे सामने आया मामला?
यह पूरा विवाद 2 मार्च 2025 को उस समय शुरू हुआ, जब दलित समाज के दिनेश ने भीम आर्मी जिला अध्यक्ष अजय बागी के साथ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दिनेश के पिता कालूराम बुआल ने बताया कि उनकी दोनों बहनों की बिंदौरी के दौरान असामाजिक तत्वों ने बाधा डाली। आरोपियों ने चार पहिया वाहन रास्ते में खड़ा कर दिया और बिंदौरी रोकने की कोशिश की।
दिनेश ने बताया कि 3 मार्च को उनकी दोनों बहनों की बारात रलायती गांव जानी थी, लेकिन उन्हें धमकियां मिल रही थीं कि घोड़ी पर बारात नहीं निकलेगी। इस सूचना के बाद प्रशासन हरकत में आया और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए गए।
पुलिस सुरक्षा में निकाली गई बारात
शिकायत मिलने के बाद सीएसपी मोतीलाल कुशवाहा ने पुलिस बल को तुरंत रलायती गांव भेजा। करीब 15-20 पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में दोनों दलित दूल्हों की बारात निकाली गई। दूल्हे घोड़ी पर सवार होकर पूरे गांव में बारात लेकर निकले और शादी की रस्में शांतिपूर्वक पूरी हुईं।
सीएसपी मोतीलाल कुशवाहा ने बताया, "सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। शादी पूरी तरह शांतिपूर्वक संपन्न हुई और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई।"
समाज के नेताओं और प्रशासन की उपस्थिति
इस अवसर पर भीम आर्मी जिलाध्यक्ष अजय कुमार बागी, आजाद समाज पार्टी जिला अध्यक्ष गोपाल नेताजी, थाना प्रभारी अनिल मालवीय, नायब तहसीलदार, भीम आर्मी के अरुण सूर्यवंशी, डॉक्टर जगदीश मालवीय सहित पूरा पुलिस बल और भीम आर्मी की टीम मौजूद रही। बारातियों ने धूमधाम से जश्न मनाया और यह आयोजन बिना किसी बाधा के संपन्न हुआ।
सामाजिक ताने-बाने पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि 21वीं सदी में भी जातिवादी मानसिकता समाज में गहरी जड़ें जमाए हुए है। जहां एक ओर सरकार और प्रशासन समरसता और समानता की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर दलित समाज को आज भी सामाजिक रीति-रिवाजों को निभाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हालांकि, इस बार प्रशासन की तत्परता के चलते यह आयोजन सफलतापूर्वक पूरा हुआ, लेकिन यह सोचने का विषय है कि आखिर कब तक समाज में ऐसी स्थितियां बनी रहेंगी?