पुलिस मुख्यालय में करोड़ों की हेराफेरी: तीन पुलिसकर्मियों ने फर्जी बिलों के जरिए सरकारी खजाने को लगाया चूना, जांच के आदेश



भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय में बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें एकाउंट शाखा में तैनात तीन पुलिसकर्मी संलिप्त पाए गए हैं। आरोप है कि इन पुलिसकर्मियों ने फर्जी मेडिकल बिलों के जरिए सरकारी खजाने से तीन करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की। मामले के उजागर होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया है।

कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?

सूत्रों के अनुसार, यह मामला पहली बार जनवरी की शुरुआत में प्रकाश में आया, जब ट्रेजरी संचालक को इन तीन पुलिसकर्मियों द्वारा लगाए गए बिलों पर संदेह हुआ। ट्रेजरी विभाग ने पाया कि औसत से कहीं अधिक भुगतान इन्हीं तीन कर्मियों को किया गया है। संदेह बढ़ने पर उन्होंने लेखा शाखा के अधिकारियों को पत्र लिखकर मामले की जांच की सिफारिश की।

जांच में सामने आया कि सूबेदार नीरज कुमार, एसआई हरिहर सोनी और एएसआई हर्ष वानखेड़े बीते तीन वर्षों से फर्जी मेडिकल बिल लगाकर सरकारी धन का गबन कर रहे थे। यह पुलिसकर्मी कभी खुद की बीमारी का हवाला देते तो कभी अपने परिजनों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर बिलों का भुगतान प्राप्त कर लेते थे।

75 लाख रुपये ट्रांसफर करते ही फंस गए आरोपी

मामले की तहकीकात के दौरान यह सामने आया कि आरोपियों ने हाल ही में 75 लाख रुपये अपने खातों में ट्रांसफर कराए थे, जिसके बाद संदेह और गहरा गया। विस्तृत जांच के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने पाया कि यह घोटाला लंबे समय से चल रहा था। पुलिस मुख्यालय ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 5 जनवरी को तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ जहांगीराबाद थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

एडीजी की गोपनीय जांच में हुआ घोटाले की पुष्टि

मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अनिल कुमार ने विभागीय स्तर पर एक गोपनीय जांच कराई। जांच रिपोर्ट में तीनों आरोपियों के खिलाफ लगे आरोप सही पाए गए, जिसके बाद 8 जनवरी को उन्हें निलंबित कर दिया गया।

अधिकारियों की सतर्कता से उजागर हुआ मामला

इस घोटाले को पकड़ने में ट्रेजरी संचालक की सतर्कता ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अधिकारियों को समय रहते आगाह किया, जिसके चलते यह मामला सामने आया। अब पुलिस मुख्यालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) मामले की गहराई से पड़ताल कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में और कौन-कौन शामिल हो सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने