जबलपुर: रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है। विश्वविद्यालय के कुलपति को लिखे गए एक पत्र में कई प्रमुख हस्तियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपील की है कि आगामी पीएचडी प्रवेश परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल किया जाए।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि पिछले कई वर्षों से पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं में उर्दू विषय को शामिल नहीं किया जा रहा है, जिससे इस विषय में शोध करने के इच्छुक छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि उर्दू एक समृद्ध और भारतीय भाषा है, लेकिन इसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
जबलपुर के डॉ. रिजवान अंसारी (पूर्व पार्षद और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष), गुलाम मुस्तफा अंसारी (प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी अंजुमन महिला कॉलेज के मानद सदस्य), पप्पू खान (मंडल मंत्री, अब्दुल हामिद मंडल) और मोहम्मद हामिद अंसारी (सामाजिक कार्यकर्ता) जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि उर्दू को प्रवेश परीक्षा में शामिल करना जरूरी है ताकि उर्दू में शोध के लिए इच्छुक छात्रों को अवसर मिल सके और इस भाषा की महत्ता को बनाए रखा जा सके।
यह पत्र 2 जनवरी 2025 को विश्वविद्यालय को सौंपा गया और इसमें उम्मीद जताई गई है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस विषय पर जल्द सकारात्मक निर्णय लेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह उर्दू भाषा और साहित्य के शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ा कदम होगा।