लोकायुक्त, ED, EOW का डर खत्म; उमरिया में प्रधान आरक्षक खुलेआम मांग रहा 50,000 की रिश्वत, चर्चा में वायरल ऑडियो

 



उमरिया: जिले के चंदिया थाने से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें प्रधान आरक्षक महताब सिंह पर एक किसान से 50,000 रुपये रिश्वत मांगने का आरोप है। पीड़ित किसान तुलसी प्रसाद कुशवाहा का ट्रैक्टर पुलिस ने जब्त कर लिया था, जिसे छुड़ाने के लिए कथित रूप से यह रिश्वत मांगी गई। इस शर्मनाक घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब रिश्वत की बातचीत का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

रिश्वत के आरोप और वायरल ऑडियो

कुशवाहा का आरोप है कि ट्रैक्टर छुड़ाने के लिए पहले उन्होंने 15,000 रुपये दिए थे। इसके बाद प्रधान आरक्षक महताब सिंह ने अतिरिक्त 50,000 रुपये की मांग की। बातचीत के इस कथित ऑडियो में प्रधान आरक्षक साफ-साफ पैसे की मांग करते सुने जा सकते हैं।

क्या था पूरा मामला?

तुलसी प्रसाद कुशवाहा ने बताया कि उनका छोटा भाई खेत से ट्रैक्टर लेकर घर लौट रहा था। रास्ते में डीजल खत्म होने के कारण ट्रैक्टर को सड़क किनारे खड़ा कर दिया गया। तभी दो लोग मोटरसाइकिल से आए और ट्रैक्टर में पीछे से टक्कर मार दी। घटना के वक्त मौके पर 8-10 लोग मौजूद थे, जिन्होंने यह हादसा देखा।

कुशवाहा ने बताया कि हादसे के बाद मोटरसाइकिल सवार थाने गए और वहां से पुलिस ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। पुलिस ने ट्रैक्टर जब्त कर लिया। कुशवाहा का भाई डीजल लेकर ट्रैक्टर वापस घर ले आया, लेकिन इसके बावजूद पुलिस की परेशानियां खत्म नहीं हुईं।

पीड़ित की आपबीती

कुशवाहा ने दावा किया कि उन्होंने पहले ही 15,000 रुपये प्रधान आरक्षक को दिए थे, लेकिन इसके बावजूद उनसे 50,000 रुपये की मांग की गई। जब उन्होंने पैसे देने में असमर्थता जताई, तो उन्हें धमकाया गया। यह पूरी बातचीत रिकॉर्ड हो गई और अब वायरल ऑडियो के रूप में चर्चा का विषय बन गई है।

शिकायत और पुलिस अधीक्षक का रुख

इस मामले में तुलसी प्रसाद कुशवाहा ने पुलिस अधीक्षक से लिखित शिकायत की है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। हालांकि, वायरल ऑडियो के बावजूद अभी तक संबंधित प्रधान आरक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

लोकायुक्त, ED और EOW की भूमिका पर सवाल

यह घटना स्थानीय प्रशासन और भ्रष्टाचार विरोधी संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ED), और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) जैसी संस्थाओं का डर खत्म होता नजर आ रहा है, क्योंकि भ्रष्टाचार अब खुलेआम हो रहा है।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने