रिश्वतखोरी का खुलासा: लोकायुक्त की कार्रवाई में एमपीईबी के दो अधिकारी गिरफ्तार

 


छिंदवाड़ा – उमरानाला क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई में जबलपुर लोकायुक्त टीम ने मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एमपीईबी) के कनिष्ठ अभियंता और सहायक ग्रेड-तीन को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह घटना बुधवार की दोपहर की है, जब लोकायुक्त की टीम ने योजनाबद्ध तरीके से इन दोनों अधिकारियों को उनके दफ्तर में रिश्वत लेते हुए पकड़ा।

क्या है मामला?

उमरानाला के इकल बिहरी निवासी 56 वर्षीय जगदेव डोंगरे ने लोकायुक्त को शिकायत दी थी कि एमपीईबी के कनिष्ठ अभियंता गजानन कड़ू (61) और सहायक ग्रेड-तीन पूनाराम रामाजी कवड़ेकर उनसे छह हजार रुपये की रिश्वत की मांग कर रहे हैं। यह रिश्वत उनके बिजली कनेक्शन से जुड़े किसी काम को निपटाने के लिए मांगी गई थी।

शिकायतकर्ता की शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने मामले की पुष्टि के लिए जगदेव को एक रिकॉर्डिंग डिवाइस दी। इस डिवाइस के माध्यम से रिश्वत की मांग की बातचीत दर्ज की गई। साक्ष्य मिलने के बाद, टीम ने बुधवार को छिंदवाड़ा पहुंचकर ट्रैप ऑपरेशन को अंजाम दिया।

ऑफिस में पकड़े गए रंगे हाथ

जैसे ही गजानन कड़ू और पूनाराम कड़वेकर ने शिकायतकर्ता से रिश्वत की रकम ली, लोकायुक्त टीम ने दोनों को दबोच लिया। रिश्वत की रकम दोनों के हाथों में थी, और निरीक्षण के दौरान उनके हाथों पर रसायन की मदद से रिश्वत की पुष्टि भी की गई।

धाराओं के तहत मामला दर्ज

दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)बी, 13(2) और 61 बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया गया है।

लोकायुक्त की कार्रवाई के नायक

इस पूरे ऑपरेशन में जबलपुर लोकायुक्त टीम के इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके, नरेश बेहरा, उपनिरीक्षक शिशिर पांडे और उनकी टीम ने कुशलता से काम करते हुए भ्रष्टाचारियों को पकड़ा।

क्या कहता है यह मामला?

यह घटना एक बार फिर बताती है कि भ्रष्टाचार किस कदर सरकारी तंत्र में अपनी जड़ें जमा चुका है। आम नागरिकों के अधिकारों और सेवाओं के बदले रिश्वत मांगना, न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि यह समाज के विश्वास को भी तोड़ता है।


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