मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक पूर्व नेता के गोदाम से 53 लाख रुपए मूल्य का सरकारी चना गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। यह चना 2018 में समर्थन मूल्य योजना के तहत खरीदा गया था और मालीखेड़ी गांव स्थित उमठ वेयरहाउस में संग्रहित किया गया था। लेकिन हाल ही में भौतिक सत्यापन के दौरान, जब अधिकारी वहां पहुंचे, तो वेयरहाउस पूरी तरह खाली मिला। इस मामले में गोदाम संचालक और शाखा प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
कैसे हुआ खुलासा?
वेयरहाउस के क्षेत्रीय प्रबंधक बीएल चौहान के मुताबिक, 2018-19 में समर्थन मूल्य योजना के तहत 1090 क्विंटल 14 किलो चना खरीदा गया था। इसे 2050 बोरियों में पैक कर उमठ वेयरहाउस में सुरक्षित रखा गया था। चने की अनुमानित कीमत 52,76,278 रुपए बताई गई है। सत्यापन के लिए जब विभागीय टीम वेयरहाउस पहुंची, तो पूरा गोदाम खाली पड़ा मिला। गोदाम में चने की बोरियां तो दूर, चने का एक दाना भी नहीं था।
बीजेपी नेता के गोदाम से जुड़ा मामला
जांच में पता चला कि यह वेयरहाउस बीजेपी के पूर्व जिला ग्रामीण उपाध्यक्ष गजेन्द्र सिंह उमठ का है। चने की बोरियों के गायब होने के बाद क्षेत्रीय प्रबंधक ने गजेन्द्र सिंह उमठ और तत्कालीन शाखा प्रबंधक भगवान सिंह पटेल के खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज करवाया है।
एफआईआर में कौन-कौन आरोपी?
इस घटना में गजेन्द्र सिंह उमठ और निलंबित शाखा प्रबंधक भगवान सिंह पटेल को आरोपी बनाया गया है। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 316(2), 316(5), और 318(3) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। क्षेत्रीय प्रबंधक बीएल चौहान ने बताया कि वेयरहाउस में सरकारी चना पूरी सुरक्षा के साथ रखा गया था। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर सरकारी अनाज का गायब होना गंभीर लापरवाही और संदिग्ध गतिविधियों की ओर इशारा करता है।
कहां हुई चूक?
प्रारंभिक जांच में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर चना गायब होने की घटना इतने लंबे समय तक कैसे छुपी रही। 2018 में चने को वेयरहाउस में स्टोर किया गया था, लेकिन 6 वर्षों तक किसी प्रकार की नियमित जांच या सत्यापन क्यों नहीं किया गया? इस लापरवाही की वजह से बड़ी मात्रा में सरकारी धन का नुकसान हुआ है।