सरकारी नौकरियों में फर्जी सर्टिफिकेट का खेल जारी, 356 मामलों का खुलासा, 24 पर कार्रवाई का खतरा



मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों में फर्जीवाड़े के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। खासतौर पर फर्जी जाति प्रमाण-पत्र और विकलांगता प्रमाण-पत्र के सहारे नौकरी पाने के 356 मामलों ने प्रशासन और सरकार को हिला कर रख दिया है। इनमें से 232 मामलों की जांच जारी है, जबकि 24 सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ दोष सिद्ध हो चुका है। इन पर नौकरी छिनने का खतरा मंडरा रहा है।

सरकार ने विधानसभा में किया खुलासा

इस मामले की पुष्टि खुद राज्य के जनजातीय कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह ने की। उन्होंने यह जानकारी कांग्रेस विधायक डॉ. राजेंद्र सिंह के सवाल के जवाब में विधानसभा में दी। मंत्री ने बताया कि पिछले नौ वर्षों (2015 से अब तक) में 232 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाने की शिकायतें मिली हैं। इन मामलों की जांच अभी चल रही है।

पुलिस और SAF में भी फर्जीवाड़ा

फर्जी सर्टिफिकेट के मामलों में मध्य प्रदेश पुलिस और स्पेशल आर्म्ड फोर्स (SAF) भी अछूती नहीं रही। यहां 200 से अधिक जवानों के जाति प्रमाण-पत्र की सत्यता पर सवाल खड़े हुए हैं। प्रधान आरक्षक रामसिंह मांझी और आरक्षक धर्मेंद्र मांझी सहित 10 कर्मचारियों के खिलाफ 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि, आरोपियों ने हाईकोर्ट से स्टे लेकर नौकरी जारी रखी है।

ग्वालियर में फर्जीवाड़े का केंद्र

ग्वालियर जिले में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र से जुड़े मामलों ने तूल पकड़ा है। यहां टिहौली के कई युवकों ने गोविंद पाठक नामक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसने कथित तौर पर फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने में मदद की थी। तत्कालीन एसडीएम ने इस मामले में रमेश श्रीवास नाम के एक व्यक्ति को नोटिस जारी किया और स्पष्टीकरण मांगा। इसके अलावा, एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी दिए गए।

सरकार का रुख और कार्रवाई की स्थिति

इन मामलों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार की लापरवाही के चलते फर्जीवाड़े के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। वहीं, मंत्री कुंवर विजय शाह ने आश्वासन दिया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जांच पूरी होते ही आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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