"प्रेम और शक के जाल में उलझी दोस्ती का खौफनाक अंत"



दोस्ती का रिश्ता बना दुश्मनी का सबब
अशोकनगर में दोस्ती के रिश्ते को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। जहां दो घनिष्ठ मित्रों के बीच एक लड़की की वजह से उपजे शक ने दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया और अंततः एक दर्दनाक हत्या का कारण बना। दोस्ती के नाम पर जहां विश्वास और त्याग होता है, वहीं इस मामले में धोखे और हिंसा ने रिश्ते की सारी हदें पार कर दीं।

मामले का खुलासा
1 जनवरी को अशोकनगर के गरिमा पेट्रोल पंप के पास पुलिस को एक अज्ञात शव मिला। शव की पहचान अंकित नरवरिया, जो पेशे से फोटोग्राफर था, के रूप में हुई। शुरुआती जांच में पुलिस ने इस हत्या को सुलझाने के लिए सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल डेटा का सहारा लिया। सीसीटीवी में मृतक को उसके दोस्त आशीष सोनी के साथ बाइक पर जाते हुए देखा गया। पुलिस ने तेजी से जांच करते हुए 80 घंटे के भीतर मामले का खुलासा किया।

घटना की रात
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजेंद्र सिंह कंवर ने बताया कि घटना की रात आशीष सोनी ने अंकित नरवरिया को बातों में उलझाकर विदिशा रोड की तरफ ले जाया। आशीष के पास एक नकली पिस्तौल थी, जिसका उपयोग उसने अंकित को डराने के लिए किया। बात बढ़ने पर आशीष ने लाठियों से अंकित पर हमला किया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

हत्या का कारण: प्रेमिका से दोस्ती
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि आशीष अपनी प्रेमिका की दोस्ती अंकित से होने के कारण गुस्से में था। उसे शक था कि अंकित उसकी प्रेमिका के करीब हो रहा है। इसी गुस्से में उसने अपने दोस्त की हत्या करने की योजना बनाई।

आरोपी का कबूलनामा
पुलिस ने आशीष सोनी को रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने पहले घटना को झूठा दिखाने की कोशिश की, लेकिन सख्ती से पूछताछ करने पर उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। उसने बताया कि वह अंकित को बहाने से सुनसान इलाके में ले गया और उसे पीट-पीटकर मार डाला। आरोपी के पास से मृतक का फोन भी बरामद किया गया।

पुलिस की कार्रवाई जारी
मृतक का शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और पुलिस ने हत्या का प्रकरण दर्ज कर आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। फिलहाल पुलिस अन्य साक्ष्यों की जांच कर रही है, जिससे मामले को पूरी तरह से बंद किया जा सके।

समाज के लिए सवाल
यह घटना न केवल एक दोस्ती के अंत की दुखद कहानी है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या प्रेम और शक के कारण रिश्तों का यह हश्र होना चाहिए? दोस्ती का पवित्र रिश्ता क्या इस कदर टूट सकता है कि उसका अंजाम हत्या जैसा हो?

निष्कर्ष
अशोकनगर की यह घटना न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देती है, बल्कि रिश्तों और उनकी मजबूती पर भी सवाल खड़े करती है। यह घटना सभी के लिए एक सीख है कि रिश्तों में संवाद, विश्वास और पारदर्शिता कितनी जरूरी है।

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