भोपाल के फतेहगढ़ इलाके में सुबह सिलाई सेंटर की तीन मंजिला इमारत में भीषण आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। यह सिलाई सेंटर इमारत की पहली मंजिल पर स्थित था, जहां कपड़ों की गठानें और सिलाई मशीनें रखी हुई थीं। हादसे के दौरान इमारत में मौजूद 50 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया, जिनमें सेंटर के 10 मजदूर भी शामिल थे।
कैसे लगी आग?
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सुबह 8 बजे के आसपास सिलाई सेंटर से धुआं उठता देखा गया। मजदूरों ने तुरंत बाहर निकलकर शोर मचाया और स्थानीय लोगों ने फायर ब्रिगेड को घटना की सूचना दी। आग लगने के कारणों का अभी तक स्पष्ट पता नहीं चल सका है, लेकिन सिलाई सेंटर में रखे कपड़ों और अन्य ज्वलनशील सामग्रियों की वजह से आग ने तेजी से विकराल रूप ले लिया।
दमकल की कार्रवाई पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों ने नगर निगम की फायर ब्रिगेड टीम की धीमी प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सूचना देने के बावजूद औपचारिकताओं में समय बर्बाद हुआ, जिसके कारण आग तेजी से फैल गई। दमकल की 30 गाड़ियां और पानी के टैंकर करीब 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 11 बजे आग पर काबू पा सके।
इमारत मालिक और प्रशासन पर आरोप
बताया जा रहा है कि यह इमारत युनूस कुरैशी नामक व्यक्ति की है, जिन्होंने सिलाई सेंटर के लिए यह जगह किराए पर दी थी। स्थानीय लोगों ने इमारत में सुरक्षा मानकों की कमी का भी आरोप लगाया है। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि इमारत में अग्निशमन यंत्र और आपातकालीन निकासी जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी।
सुरक्षा उपायों की कमी का परिणाम
भोपाल में बढ़ती आगजनी की घटनाएं प्रशासन और भवन मालिकों की लापरवाही को उजागर करती हैं। इस घटना ने एक बार फिर सुरक्षा मानकों की अनदेखी पर सवाल खड़े किए हैं। प्रशासन से इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की जा रही है।
फिलहाल, हादसे में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। आग लगने के कारणों और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन की जांच जारी है।