वृद्धा के साथ साइबर फ्रॉड: 35 लाख की ठगी, गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठगों ने बिछाया जाल



जबलपुर। साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं के बीच जबलपुर पुलिस लगातार साइबर जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन इसके बावजूद ठग सीधे-साधे लोगों को अपना निशाना बनाने में सफल हो रहे हैं। ताजा मामला रांझी थाना क्षेत्र का है, जहां साइबर ठगों ने एक वृद्धा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी का डर दिखाकर 35 लाख रुपये ठग लिए।

कैसे बुना गया जाल?

रक्षा नगर कॉलोनी में रहने वाली 61 वर्षीय कुसुमलता को 14 जनवरी को एक वीडियो कॉल प्राप्त हुआ। कॉल करने वाले ने खुद को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का वरिष्ठ अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर क्रेडिट कार्ड जारी किया गया है, जिसमें बकाया राशि जमा न होने पर भारी पेनल्टी लगाई जा रही है। इतना ही नहीं, ठग ने यह दावा किया कि उनके खाते से मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अवैध लेन-देन हुआ है।

इस सूचना से वृद्धा घबरा गईं। कॉल पर ठग ने उन्हें भरोसा दिलाने के लिए वीडियो कॉल के दौरान अपने आसपास पुलिस और वकीलों की ड्रेस पहने कुछ लोगों को दिखाया। यह दृश्य देखकर कुसुमलता को यकीन हो गया कि मामला गंभीर है।

ठगी के लिए बनाई रणनीति

ठग ने कुसुमलता को दो दिनों तक लगातार धमकाया और एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। इसके बाद, क्रेडिट कार्ड पर जुर्माना और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को "रफादफा" करने के नाम पर 35 लाख रुपये की मांग की। ठग ने उन्हें एक बैंक खाता नंबर दिया और 16 जनवरी को कुसुमलता ने पंजाब नेशनल बैंक, रांझी ब्रांच से आरटीजीएस के जरिये ठग द्वारा दिए गए खाते में 35 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

ठगों की धमकियां जारी

रुपये ट्रांसफर करने के बाद भी ठगों ने धमकियां देना बंद नहीं किया। कुसुमलता को 2-3 दिनों तक लगातार गिरफ्तारी का डर दिखाया गया, जिससे परेशान होकर उन्होंने अंततः रांझी थाने में शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने दर्ज किया मामला

वृद्धा की शिकायत पर रांझी पुलिस ने साइबर ठगी से संबंधित अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि वृद्धा को झूठे केस और गिरफ्तारी का डर दिखाकर ठगों ने योजना के तहत ठगा। पुलिस अब ठगों का पता लगाने के लिए डिजिटल सबूत खंगाल रही है।

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