आर्थिक संकट से घिरी महिला ने किया चौंकाने वाला कांड, लक्ष्मी माता को मनाने उठाया यह कदम

 



भोपाल, मध्य प्रदेश: आर्थिक तंगी और तांत्रिकों के बहकावे के कारण लोग कभी-कभी ऐसे कदम उठा लेते हैं, जो न केवल हैरान करते हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी झकझोर देते हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मिसरोद इलाके में सामने आया है, जहां एक महिला ने अपने परिवार की आर्थिक समस्याओं का हल ढूंढने के लिए मंदिर से लक्ष्मी माता की मूर्ति ही चुरा ली। यह घटना जितनी विचित्र है, उतनी ही चिंताजनक भी।

पारिवारिक संपन्नता से किराए के मकान तक का सफर

42 वर्षीय मोनिका चेलानी, जो पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं, मिसरोद स्थित एक निजी अस्पताल में कार्यरत हैं। उनके पिता अशोक चेलानी, एक समय में मंडीदीप में एक सफल उद्योगपति थे और पाश इलाकों में करोड़ों की संपत्ति के मालिक थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक तंगी ने उनके कारोबार और संपत्ति को खत्म कर दिया। परिणामस्वरूप, चेलानी परिवार अब एक किराए के मकान में जीवन बिता रहा है।

'लक्ष्मीजी रूठी हैं', तांत्रिक ने दिया चौंकाने वाला उपाय

आर्थिक परेशानियों के समाधान के लिए मोनिका ने एक तांत्रिक का सहारा लिया। तांत्रिक ने दावा किया कि परिवार की खुशहाली लौटाने के लिए लक्ष्मी माता की पूजा करनी होगी, क्योंकि वे "नाराज" हैं। इस सलाह को मानते हुए मोनिका ने अस्पताल के मंदिर से चांदी की लक्ष्मी माता की मूर्ति चुराने का फैसला किया।

मूर्ति चोरी का खुलासा: CCTV फुटेज ने पकड़ी चोरी

9 जनवरी को जब अस्पताल के पंडित पूजा करने पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि लक्ष्मी माता की मूर्ति गायब है। इस बारे में अस्पताल के जीएम राजेश कुमार सिंह को जानकारी दी गई, जिन्होंने तुरंत मिसरोद थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने जब अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, तो उसमें मोनिका मंदिर से मूर्ति चोरी करती हुई साफ नजर आई।

गिरफ्तारी के बाद खुला राज

पुलिस ने साधना एंक्लेव स्थित मोनिका के घर पर छापा मारा और अलमारी से चोरी की गई मूर्ति बरामद कर ली। गिरफ्तारी के बाद मोनिका ने खुलासा किया कि उसे चोरी करने का "शौक" है, लेकिन इस बार उसने तांत्रिक की सलाह पर यह कदम उठाया। उसका विश्वास था कि लक्ष्मी माता की मूर्ति घर में रखने से आर्थिक संकट समाप्त हो जाएगा।

आर्थिक संकट के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल

इस घटना ने न केवल आर्थिक समस्याओं को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि आर्थिक दबाव में लोग कितने अंधविश्वासी और असंवेदनशील हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।


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