भोपाल: मध्य प्रदेश के चर्चित धनकुबेर सौरभ शर्मा से जुड़े मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। शुक्रवार को आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने बड़ा दावा करते हुए खुलासा किया कि सौरभ शर्मा को 2016 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा की सिफारिश पर अनुकंपा नियुक्ति मिली थी।
मंत्री के लेटर हेड पर लिखा गया सिफारिशी पत्र
आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू द्वारा जारी एक दस्तावेज़ के अनुसार, 12 अप्रैल 2016 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने लेटर हेड पर लिखा था कि सौरभ शर्मा, जो ग्वालियर निवासी हैं, उनके पिता डॉ. राकेश शर्मा की सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी। पत्र में सौरभ को योग्यता के आधार पर तृतीय श्रेणी या संगणक पद पर नियुक्ति देने की अनुशंसा की गई थी।
पहली पोस्टिंग मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में
सिफारिश के बाद सौरभ शर्मा की पहली पोस्टिंग नरोत्तम मिश्रा के विधानसभा क्षेत्र दतिया में सिकंदरा और चिरौला चेक पोस्ट पर हुई। यहां से अवैध वसूली के कई मामले सामने आए। साहू ने आरोप लगाया कि नियुक्ति प्रक्रिया में कई अनियमितताएं थीं, और सीएमएचओ द्वारा पहले बताया गया था कि जिले में कोई रिक्त पद उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद परिवहन विभाग को मंत्री द्वारा पत्र भेजकर नियुक्ति करवाई गई।
नियुक्ति पत्र का खुलासा
इससे पहले गुरुवार को सौरभ शर्मा का नियुक्ति पत्र भी सार्वजनिक हुआ। यह पत्र 29 अक्टूबर, 2016 को परिवहन आयुक्त शैलेन्द्र श्रीवास्तव द्वारा जारी किया गया था, जिसमें सौरभ को दो वर्षों के लिए अस्थायी रूप से अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी।
लोकायुक्त से शिकायत दर्ज
संकेत साहू ने इस मामले में लोकायुक्त से शिकायत की है। उनका कहना है कि फर्जी एफिडेविट और अनुचित दबाव के चलते यह नियुक्ति हुई, जो नियमों का उल्लंघन है। अब इस मामले में सरकार और संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
नरोत्तम मिश्रा की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे मामले पर नरोत्तम मिश्रा की प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस मामले में कोई और बड़ा खुलासा सामने आता है या जांच में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है।
राजनीतिक हलचल तेज
सौरभ शर्मा केस ने मध्य प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। विपक्ष ने सरकार पर भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।