पति ने पत्नी के ज्यादा बोलने की आदत पर तलाक मांगा: समाज और अदालत में चर्चा का विषय



नई दिल्ली:पति-पत्नी के रिश्ते में समझदारी और संवाद महत्वपूर्ण माने जाते हैं, लेकिन जब संवाद सीमाओं को पार कर जाए, तो वह तनाव का कारण भी बन सकता है। ऐसा ही एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक युवक ने अपनी पत्नी के "अत्यधिक बोलने की आदत" को तलाक का कारण बताया है। इस मामले ने न केवल समाज में चर्चा को जन्म दिया है, बल्कि कानूनी विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह एक वैध तलाक का आधार हो सकता है।

अरेंज मैरिज में बढ़ती खटास

सात साल पहले दोनों की शादी एक अरेंज मैरिज के जरिए हुई थी। शुरुआती कुछ साल तक दोनों के बीच संबंध सामान्य रहे, लेकिन पति का आरोप है कि पत्नी की हर बात पर राय देने और हर मुद्दे पर बोलने की आदत ने घर का माहौल बिगाड़ दिया। युवक का कहना है कि पत्नी की आदतें इतनी परेशान करने वाली हो गईं कि उसे मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा।

युवक ने कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा, "हर छोटी-बड़ी बात पर पत्नी अपनी राय देती है, चाहे वह जरूरी हो या न हो। उसके बोलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं लेता, जिससे घर में शांति भंग हो गई है।"

बेटी का भविष्य भी दांव पर

इस दंपति की एक बेटी भी है, जिसकी परवरिश को लेकर दोनों के बीच मतभेद और गहरा गया है। पति-पत्नी के बीच बढ़ते तनाव के चलते बेटी का भविष्य अस्थिर हो गया है। हैरानी की बात यह है कि दोनों ही माता-पिता बेटी को अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं हैं।

पत्नी का पक्ष

महिला, जो पिछले दो साल से अपने मायके में रह रही है, ने अदालत में अपने बयान में कहा कि वह इस रिश्ते को बचाना चाहती है। उसका मानना है कि पति द्वारा तलाक की मांग अनुचित है और वह इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार है। महिला ने अपने पति के आरोपों को "अनुचित और अतिरंजित" करार देते हुए कहा कि बोलने की आदत तलाक का आधार नहीं बन सकती।

समाज और कानूनी विशेषज्ञों में बहस

यह मामला न केवल सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि कानूनी विशेषज्ञ भी इस पर बहस कर रहे हैं। पारिवारिक मामलों के वकीलों का कहना है कि तलाक के लिए ऐसे अनोखे कारणों का आधार बनाना नई चुनौती है। भारतीय कानून के तहत, तलाक के लिए "क्रूरता", "परित्याग", या "धोखा" जैसे गंभीर कारण होने चाहिए। क्या "अत्यधिक बोलने की आदत" को इन श्रेणियों में रखा जा सकता है, यह अदालत के निर्णय पर निर्भर करेगा।

अदालत का फैसला होगा महत्वपूर्ण

इस मामले में अब अदालत का फैसला यह तय करेगा कि क्या वैवाहिक रिश्ते में पति-पत्नी के बीच संवाद की सीमाएं तय होनी चाहिए और क्या किसी की व्यक्तिगत आदत तलाक का कारण बन सकती है।


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