मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले की शहपुरा जनपद पंचायत इन दिनों विवादों का केंद्र बनी हुई है। जनपद पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) सौम्या जैन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच उत्पन्न तनाव ने विकास कार्यों को प्रभावित कर दिया है। हालिया घटनाओं में सीईओ द्वारा कठोर और अपमानजनक व्यवहार के आरोप लगाए गए हैं, जिससे पंचायत के जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।
मामले की शुरुआत: गंदे पानी की शिकायत से विवाद तक
घटना की शुरुआत तब हुई जब बिलपठार ग्राम पंचायत के उप सरपंच मदन प्रसाद शर्मा स्कूल में हैंडपंप से गंदा पानी आने की शिकायत लेकर सीईओ सौम्या जैन के पास पहुंचे। शिकायत दर्ज कराने के बजाय, सीईओ ने उन्हें "गेट आउट" कहकर कार्यालय से भगा दिया। इस घटनाक्रम से आहत उप सरपंच ने अपनी पीड़ा जनपद पंचायत उपाध्यक्ष प्रमोद शुक्ला और अन्य जनप्रतिनिधियों को बताई।
इसके बाद अगले दिन, गुरुवार को, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष, दो पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष, और अन्य जनप्रतिनिधि सीईओ से मिलने पहुंचे। इस दौरान, बातचीत के दौरान तीखी बहस हो गई। सीईओ सौम्या ने रिकॉर्डिंग कर रहे व्यक्तियों को कैमरा बंद करने और रिकॉर्डिंग डिलीट करने की चेतावनी दी।
सीईओ पर लगाए गए आरोप
जनप्रतिनिधियों का आरोप:
सीईओ का व्यवहार बेहद कठोर और अपमानजनक है।
पंचायत की समस्याओं को सुनने के बजाय जनप्रतिनिधियों की "सामूहिक बेइज्जती" करती हैं।
गांव के विकास कार्यों की शिकायतें लेकर आए उप सरपंच पर शराब पीने का झूठा आरोप लगाया।
समस्याओं का समाधान करने के बजाय जनप्रतिनिधियों को कार्यालय से बाहर कर दिया।
उप सरपंच मदन प्रसाद शर्मा का बयान:
"हम गंदे पानी की समस्या लेकर गए थे, लेकिन सीईओ ने हमें अपमानित किया। यह हमारे जैसे जनप्रतिनिधियों के लिए असहनीय है। हम कलेक्टर महोदय से शिकायत करेंगे और सीईओ को हटाने की मांग करेंगे।"
सीईओ का पक्ष
सीईओ सौम्या जैन ने इस पूरे मामले को गलतफहमी बताया। उनका कहना है कि उप सरपंच का व्यवहार "असहज" था, और उन्होंने केवल यह कहा था कि वह अपनी शिकायत लिखित में दें। सीईओ ने दावा किया कि किसी के साथ अपमानजनक व्यवहार नहीं किया गया है।
जनप्रतिनिधियों की मांग
जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सीईओ का व्यवहार विकास कार्यों में बाधा डाल रहा है। उन्होंने सीईओ को तत्काल हटाने और उनकी जगह किसी अनुभवी अधिकारी को नियुक्त करने की मांग की है।
प्रमोद शुक्ला, उपाध्यक्ष शहपुरा:
"सीईओ का काम जनता की समस्याओं को सुनना और उनका समाधान करना है। लेकिन उनका व्यवहार बेहद हल्के स्तर का है। उनकी रवानगी तत्काल होनी चाहिए।"
राजेश सिंह, पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष:
"सीईओ ने उप सरपंच को गेट आउट कहकर भगाया। यह पंचायत प्रशासन में अस्वीकार्य है।"
विकास कार्यों पर असर
शहपुरा जनपद पंचायत में सीईओ और जनप्रतिनिधियों के बीच जारी तनाव का सीधा असर पंचायत के विकास कार्यों पर पड़ रहा है। ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है, जिससे आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
क्या हो सकता है समाधान?
सीईओ और जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद बहाली: जनप्रतिनिधियों और सीईओ के बीच आपसी विवाद को सुलझाने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को हस्तक्षेप करना चाहिए।
शिकायतों की जांच: उप सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधियों की शिकायतों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
जनप्रतिनिधियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार: सीईओ जैसे पद पर बैठे अधिकारी को जनता और जनप्रतिनिधियों के प्रति संवेदनशील और सम्मानजनक रवैया अपनाना चाहिए।
शहपुरा जनपद पंचायत में उत्पन्न यह विवाद न केवल प्रशासनिक शिथिलता को उजागर करता है, बल्कि ग्रामीण विकास कार्यों में हो रही बाधा की भी ओर इशारा करता है। यह आवश्यक है कि इस मामले को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाए। प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारियों को यह समझना होगा कि जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद उनकी जिम्मेदारी है, न कि टकराव का कारण।