दलित एथलीट से दुष्कर्म: 62 लोगों पर आरोप, 14 गिरफ्तार, न्याय के लिए उठ रही आवाजें

 


केरल में 62 लोगों द्वारा दलित एथलीट के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है, जिसमें पीड़िता ने अपने कोच सहित कई लोगों पर आरोप लगाए हैं। इस मामले में अब तक कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। यह दिल दहला देने वाली घटना तब शुरू हुई जब पीड़िता महज 13 साल की थी।

घटना की शुरुआत और खुलासा

पीड़िता, जो अब 18 साल की है, ने पुलिस को बताया कि पिछले पांच वर्षों में उसके साथ 62 लोगों ने यौन शोषण किया, जिसमें उसके खेल प्रशिक्षक, साथी एथलीट और सहपाठी शामिल थे। यह मामला तब सामने आया जब स्कूल के शिक्षकों ने उसके व्यवहार में आए बदलावों की जानकारी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को दी। इसके बाद समिति ने पीड़िता से परामर्श किया, जिसके दौरान उसने अपनी आपबीती साझा की।

पुलिस कार्रवाई और एसआईटी का गठन

पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। पथानमथिट्टा जिले के पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में टीम ने व्यापक जांच शुरू की। अब तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें से अधिकांश की उम्र 19 से 30 वर्ष के बीच है। एक आरोपी नाबालिग है, जिसे हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में से कई का आपराधिक इतिहास रहा है।

कानूनी धाराएं और आरोपियों पर शिकंजा

केरल पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। यह भी पाया गया है कि स्कूल स्तर की एथलेटिक ट्रेनिंग और खेल शिविरों के दौरान पीड़िता का शोषण हुआ।

राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग का हस्तक्षेप

इस घटना ने राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग का ध्यान आकर्षित किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही, केरल महिला आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पथानमथिट्टा पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट मांगी है।

समाज और न्याय व्यवस्था पर सवाल

यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर, बल्कि समाज में महिलाओं और विशेषकर दलित महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं केवल कठोर कानूनों से नहीं, बल्कि समाज में जागरूकता और समानता के भाव से रोकी जा सकती हैं।


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