मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (MP RTO) के पूर्व अधिकारी सौरभ शर्मा और उनके सहयोगियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकंजा कसता जा रहा है। हाल ही में भोपाल, ग्वालियर और पुणे में हुई ईडी की छापेमारी में 50 लाख रुपये से अधिक की नकदी, चांदी और बड़ी मात्रा में बैंक जमा राशि जब्त की गई। ईडी ने इस कार्रवाई में डिजिटल डिवाइस और संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए हैं, जिससे इस कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नए खुलासे हो रहे हैं।
छापेमारी में बरामदगी
ईडी ने बताया कि छापेमारी के दौरान 12 लाख रुपये की नकदी, 9.9 किलोग्राम चांदी (जिसकी कीमत 9.17 लाख रुपये आंकी गई है), और 30 लाख रुपये की बैंक जमा राशि जब्त की गई। इसके अलावा, संपत्ति के दस्तावेज और डिजिटल सबूत भी जांच एजेंसी के हाथ लगे हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग का आधार
यह मामला मध्य प्रदेश सरकार की लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से निकला है। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि सौरभ शर्मा ने अपने परिवार के सदस्यों और संबंधित फर्मों के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की।
सौरभ शर्मा का संदिग्ध करियर
सौरभ शर्मा को 2015 में अनुकंपा के आधार पर मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में आरक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। उनके पिता, जो एक सरकारी डॉक्टर थे, की मृत्यु के बाद उन्हें यह पद मिला। हालांकि, 2023 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। इसके बावजूद, उनके पास से अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का खुलासा हो चुका है।
पहले भी हो चुकी कार्रवाई
इससे पहले दिसंबर 2024 में भी ईडी ने सौरभ शर्मा के ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया था। लोकायुक्त पुलिस ने भी उनके घर और अन्य ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें करोड़ों रुपये की नगदी और चल-अचल संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। इसके बाद आयकर विभाग ने भी मामले की जांच शुरू की।
राजनीतिक हलचल
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी उथल-पुथल मचा दी है। भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। भाजपा का कहना है कि यह मामला कांग्रेस के शासनकाल में भ्रष्टाचार का उदाहरण है, जबकि कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर जांच को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं।
सौरभ शर्मा अभी भी फरार
अब तक की जांच में सौरभ शर्मा किसी भी एजेंसी के हाथ नहीं लगे हैं। उनकी गिरफ्तारी को लेकर ईडी और अन्य जांच एजेंसियां लगातार प्रयास कर रही हैं।