मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहां खेत में बनी एक झोपड़ी में आग लगने से तीन मासूम बहनें झुलस गईं। इस हादसे में 5 महीने की हीर और 3 साल की जानवी की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 5 साल की बड़ी बहन कीर्ति जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।
झोपड़ी में आग लगने का कारण अज्ञात
यह हादसा दमोह के नजदीक एक खेत में हुआ। झोपड़ी में आग कैसे लगी, इसका कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। शुरुआती जांच में आशंका जताई जा रही है कि यह घटना खाना बनाते समय आग लगने या शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई होगी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बचाव की कोशिशें नाकाम
पीड़ित पिता गोविंद सिंह सौंर ने बताया कि हादसे के वक्त उनकी तीनों बेटियां झोपड़ी में सो रही थीं। वे पास के प्याज के खेत में सिंचाई कर रहे थे और उनकी पत्नी भी खेत में काम कर रही थीं। अचानक झोपड़ी से आग की लपटें उठती देखी गईं। जब तक वे वहां पहुंचे, झोपड़ी पूरी तरह से आग की चपेट में आ चुकी थी। तीनों बच्चियों को किसी तरह बाहर निकाला गया और गंभीर हालत में सिविल अस्पताल, हटा ले जाया गया।
अस्पताल पहुंचने तक तोड़ा दम
डॉक्टरों ने तीनों बच्चियों को प्राथमिक उपचार के बाद दमोह जिला अस्पताल रेफर किया। वहां पहुंचने पर डॉक्टरों ने 5 महीने की हीर और 3 साल की जानवी को मृत घोषित कर दिया। 5 साल की कीर्ति को गंभीर हालत में जबलपुर रेफर किया गया है, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति उजागर
गोविंद सिंह सौंर, सागर जिले के बंडा तहसील के तरौली गांव के रहने वाले हैं। तीन महीने पहले वे मजदूरी के लिए अपने परिवार के साथ दमोह के बरोदा आए थे। यहां वे एक खेत में झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। इस हादसे ने प्रवासी मजदूरों की असुरक्षित स्थिति और उनके रहने के अभावजन्य खतरों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने जताया शोक और दी आर्थिक सहायता
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस हृदयविदारक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने मृत बच्चियों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। साथ ही इलाजरत बच्ची के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। मुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं।