जबलपुर: छुट्टी के दिन हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता के लिए दिखाई संवेदनशीलता, गर्भपात की अनुमति दी


मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक संवेदनशील मामले में इंसानियत और न्याय की मिसाल पेश की है। यह मामला जबलपुर से जुड़ा हुआ है, जहां कोर्ट ने अपनी विंटर वेकेशन के दौरान छुट्टी के दिन एक रेप पीड़िता की अर्जेंट सुनवाई की और उसे 32 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी। सुनवाई वीडियो कॉल के जरिए की गई, जिससे कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि पीड़िता को न्याय मिले।

वीडियो कॉल पर हुई सुनवाई

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में भर्ती पीड़िता की मेडिकल स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अर्जेंट हियरिंग बुलाई। यह दिन कोर्ट की छुट्टी का था। जज ने पीड़िता और उसकी मां से वीडियो कॉल पर बात कर उनकी भावनाओं और परिस्थितियों को समझा। इसके बाद, कोर्ट ने डॉक्टर्स की एक्सपर्ट टीम की निगरानी में गर्भपात कराने की अनुमति दी।

सागर में हुआ था रेप, भोपाल में भर्ती है पीड़िता

पीड़िता के साथ सागर जिले में रेप हुआ था। इसके बाद, उसने 32 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल रिपोर्ट मंगवाई। रिपोर्ट में डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता का गर्भ 32 सप्ताह और 6 दिन का है। मेडिकल रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी।

परिवार को खतरों से अवगत कराने के निर्देश

कोर्ट ने निर्देश दिया कि गर्भपात केवल डॉक्टरों की निगरानी में किया जाए। इसके अलावा, पीड़िता और उसके परिवार को गर्भपात के संभावित खतरों से अवगत कराते हुए उनकी लिखित अनुमति ली जाए। यदि गर्भपात के दौरान बच्चा जीवित रहता है, तो उसे पालने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। साथ ही, कोर्ट ने भ्रूण के सैंपल को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है ताकि भविष्य में इसे कानूनी कार्यवाही के लिए उपयोग किया जा सके।

इंसाफ की दिशा में एक मजबूत कदम

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि पीड़िताओं के अधिकारों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है। इस घटना ने यह सिद्ध किया है कि इंसानियत और न्याय के लिए न्यायपालिका किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटती।

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