जबलपुर। करीब एक दशक पहले अस्तित्व में आए जबलपुर के क्राइम ब्रांच थाने में अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। 2014 में शासन की अधिसूचना के तहत थाने को पूर्ण अधिकार दिए गए, लेकिन एफआईआर दर्ज करने या विवेचना शुरू करने का काम अभी तक नहीं हो सका था। अब जाकर इस थाने में साइबर अपराध का पहला मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, चौथा पुल स्थित साकार सनराइज अपार्टमेंट के निवासी मसूद हुसैन ने तीन महीने पहले सोशल मीडिया पर एक युवती से बातचीत शुरू की थी। युवती ने खुद को ब्रिटेन की नागरिक बताते हुए "गिफ्ट" भेजने का झांसा देकर 29 बैंक खातों में कुल 53.35 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। पीड़ित ने इस धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) से की। शिकायत के बाद एसपी के निर्देश पर क्राइम ब्रांच थाने में साइबर अपराध का यह पहला मामला दर्ज हुआ।
क्राइम ब्रांच को मिली नई जिम्मेदारियां
हाल ही में क्राइम ब्रांच थाने की कमान थाना प्रभारी को सौंपी गई है। इससे पहले थाने का संचालन एएसपी समर वर्मा के अधीन था। नए आदेश के तहत अब थाना प्रभारी को पूरी जिम्मेदारी दी गई है, जबकि एएसपी इस काम की निगरानी करेंगे।
इस संबंध में एसपी संपत उपाध्याय ने कहा, "शासन की अधिसूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच थाने को पूर्ण थाना घोषित किया गया है। मध्य प्रदेश के चारों महानगरों में इसी तर्ज पर जबलपुर में 2014 में क्राइम ब्रांच की स्थापना की गई थी। पहले यहां केवल जांच और अन्य कार्रवाई होती थी, जबकि एफआईआर दर्ज करने का काम संबंधित क्षेत्रीय थानों में ही किया जाता था।"
फोकस्ड इन्वेस्टिगेशन पर जोर
एसपी ने बताया कि साइबर अपराध जैसे मामलों में गहन जांच की आवश्यकता होती है। इसके लिए एक विशेष टीम की जरूरत होती है, जो केवल ऐसे मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सके और अन्य कानून-व्यवस्था से जुड़े कार्यों में न उलझे। इसी उद्देश्य से अब क्राइम ब्रांच थाना, जबलपुर में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस महीने दर्ज पहला मामला 53 लाख रुपये की ठगी से संबंधित है, जो साइबर अपराध की श्रेणी में आता है।