IT छापे में बड़ा खुलासा: सहारा ग्रुप की जमीन कौड़ियों के दाम बेची, बिल्डर और अफसरों की मिलीभगत से खेल


मध्य प्रदेश में हाल ही में हुई आयकर विभाग की छापेमारी ने करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। इस मामले में बड़े पैमाने पर सस्ते दामों पर जमीन बेचने, शैल कंपनियों के जरिए धन के लेन-देन, और बेनामी संपत्तियों से जुड़े सबूत मिले हैं। अगर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हुई, तो इसकी आंच भाजपा के वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुंच सकती है। फिलहाल, आयकर विभाग के अधिकारी जब्त किए गए दस्तावेजों की गहन जांच कर रहे हैं।

8 करोड़ नकदी और ज्वेलरी बरामद

आयकर विभाग ने भोपाल स्थित नामी बिल्डरों त्रिशूल कंस्ट्रक्शन कंपनी, क्वालिटी ग्रुप और ईशान ग्रुप से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में अब तक 8 करोड़ रुपये नकद और बड़ी मात्रा में ज्वेलरी बरामद की गई है। अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, और आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं।

शैल कंपनियों और बेनामी संपत्तियों का पर्दाफाश

जांच के दौरान, आयकर अधिकारियों को कई शैल कंपनियों और बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इन शैल कंपनियों का उपयोग बड़े पैमाने पर धन के लेन-देन और काले धन को सफेद करने के लिए किया गया था। इसके साथ ही, सहारा ग्रुप की कई जमीनों को सस्ते दामों पर बेचने का रिकॉर्ड भी सामने आया है।

50 करोड़ में बेची 200 करोड़ की जमीन

दस्तावेजों के मुताबिक, भोपाल के कोलार तहसील स्थित मक्सी गांव में सहारा ग्रुप की 110 एकड़ जमीन को मार्च 2022 में मात्र 50 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। जबकि, इस जमीन की बाजार मूल्य 200 करोड़ रुपये के आसपास आंकी गई थी।

गौरतलब है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट को इस जमीन की कीमत 125 करोड़ रुपये बताई गई थी। लेकिन इसे जानबूझकर बाजार मूल्य से काफी कम दाम पर बेचा गया।

सिनाप रियल एस्टेट कंपनी का नाम सामने आया

सहारा ग्रुप की भोपाल, इंदौर, देवास, जबलपुर, कटनी और सतना सहित देशभर में कई प्रॉपर्टियां हैं, जिनकी नीलामी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की जानी थी। लेकिन, जांच में यह बात सामने आई कि कुछ जमीनें बाजार मूल्य से कम दाम पर बेच दी गईं।

इन जमीनों को खरीदने में सिनाप रियल एस्टेट कंपनी का नाम सामने आया है। इस कंपनी का मालिकाना हक भाजपा विधायक संजय पाठक, उनकी पत्नी और बेटे यश पाठक के पास है।

सेबी के खाते में जमा नहीं हुई राशि

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप की संपत्तियां बेचकर राशि सेबी के खाते में जमा करने का आदेश दिया था, ताकि निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके। लेकिन, इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। दस्तावेजों के अनुसार, सिनाप रियल एस्टेट ने इस जमीन की रजिस्ट्री के लिए मयंक चौबे को अधिकृत किया था।

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