जबलपुर। संस्कारधानी का प्रमुख शासकीय अस्पताल नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज इन दिनों एक और विवाद की वजह से सुर्खियों में है। मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली UDS प्राइवेट कंपनी के बाउंसर द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए परिजनों से पैसों की मांग का मामला सामने आया है। इस घटना ने अस्पताल की सुरक्षा और प्रबंधन व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।
मामले का खुलासा
बुधवार की दोपहर करीब 12:30 बजे मृतक के परिजन ओपीडी के पास मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की प्रक्रिया में थे। इसी दौरान UDS प्राइवेट कंपनी का एक बाउंसर मौके पर पहुंचा और 2,000 रुपये के बदले प्रमाण पत्र जल्द बनवाने की पेशकश की। परिजन इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए, लेकिन तभी वहां मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने इस गतिविधि को नोटिस किया। अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने बताया कि बाउंसर को रंगे हाथ पकड़ा गया और उसे तुरंत वहां से हटाया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी
घटना के पीछे का पूरा खेल UDS प्राइवेट ठेका कंपनी के इंचार्ज की मिलीभगत का नतीजा है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज के अंदर कुछ स्थानों पर कंपनी के इंचार्ज द्वारा नियुक्त खास कर्मचारियों को तैनात किया गया है। ये कर्मचारी मरीजों के परिजनों से सरकारी प्रक्रियाओं को जल्दी निपटाने के नाम पर अवैध वसूली करते हैं। इस अवैध धनराशि का हिस्सा कंपनी के इंचार्ज तक पहुंचाया जाता है।
अस्पताल में भ्रष्टाचार की जड़ें
मेडिकल कॉलेज में आए दिन ऐसे मामलों का खुलासा होता है, लेकिन प्रशासन की ओर से कठोर कार्रवाई का अभाव इस समस्या को और गंभीर बना देता है। अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता और भ्रष्टाचार ने आम जनता को परेशान कर रखा है। शिकायतें दर्ज होने के बावजूद न तो UDS कंपनी के इंचार्ज पर कोई कार्रवाई होती है और न ही अवैध गतिविधियों में शामिल कर्मचारियों पर लगाम लगाई जाती है।
प्रबंधन पर उठे सवाल
मेडिकल अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा, "बाउंसर को तुरंत हटा दिया गया और मामले की जांच की जा रही है।" हालांकि, इस बयान ने अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मीडिया और प्रशासन की भूमिका
घटना को लेकर मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया है, लेकिन प्रशासन द्वारा प्रभावी कदम न उठाए जाने से जनता में रोष व्याप्त है।