जबलपुर के गढ़ा इलाके की 80 वर्षीय विमला बाई पटेल इन दिनों अपनी जमीन को वापस पाने के लिए कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। उनके साथ उनका बड़ा बेटा सतीश पटेल भी संघर्ष कर रहा है। विमला बाई का आरोप है कि उनकी पैतृक संपत्ति को रमेश पटेल नामक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने नाम करवा लिया है।
प्रशासनिक उदासीनता: विमला बाई और उनके बेटे ने कई बार कलेक्टर कार्यालय और अन्य संबंधित विभागों में शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
फर्जी दस्तावेजों का खेल: सतीश पटेल के अनुसार, जब उन्होंने इस मामले में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी, तो अधिकारियों ने संबंधित दस्तावेजों के "गुम" होने की बात कह दी।
तहसीलदार और पटवारी पर आरोप: परिवार का आरोप है कि तहसीलदार भरत सोनी और पटवारियों की मिलीभगत से जमीन का नामांतरण रमेश पटेल के नाम कर दिया गया है। यह जमीन गढ़ा क्षेत्र के खसरा नंबर 432 पर स्थित है।
जनसुनवाई में गुहार: मंगलवार को विमला बाई और उनके बेटे ने जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज कराई। विमला बाई ने बताया कि उनके पति के निधन के बाद यह संपत्ति उनके बेटे का अधिकार है, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते इसे हड़प लिया गया।
वित्तीय और शारीरिक कष्ट: परिवार आर्थिक रूप से इतने कमजोर हैं कि वे गढ़ा से पैदल चलकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचते हैं। बुजुर्ग महिला का स्वास्थ्य और उनके बेटे का संघर्ष प्रशासन की उदासीनता को और भी उजागर करता है।
भूमाफिया की सक्रियता: इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि कैसे भूमाफिया और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन हड़पने के मामले बढ़ रहे हैं।
मीडिया की अपील: प्रवीण टीवी न्यूज़ ने जिला प्रशासन और कलेक्टर से अनुरोध किया है कि वे मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द से जल्द निष्पक्ष कार्रवाई करें।
आशा की किरण: जनसुनवाई में दर्ज शिकायतों के बाद अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या विमला बाई को उनकी जमीन वापस मिल पाएगी।