एमपी में 500 गांव नई जगह बसाए जाएंगे, शहर जैसी सुविधाएं देने के लिए बनी बड़ी योजना

 भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ग्रामीण विकास को प्राथमिकता देते हुए गांवों में बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दे रही है। इसके तहत राज्य में गांवों को आधुनिक सुविधाओं से लैस कर शहरों के समान बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस पहल में वन विभाग भी शामिल हो गया है, जिसने प्रदेश के 500 गांवों को नई जगहों पर बसाने की योजना पर काम शुरू किया है।



गांवों को नई जगहों पर बसाने की योजना

प्रदेश के घने जंगलों में बसे इन गांवों को हटाकर नई जगहों पर बसाया जाएगा। यह काम टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्कों से शुरू होगा। इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को सुरक्षित और सुविधाजनक स्थानों पर स्थानांतरित कर उनके लिए बेहतर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

सरकार का मानना है कि यह कदम केवल ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा में भी सहायक होगा। जंगलों में इंसानी गतिविधियों की वजह से वन्यजीवों को खतरा होता है, वहीं ग्रामीण भी विकास की कमी से जूझते हैं।

वन विभाग की कार्ययोजना

वन विभाग ने 2047 तक का एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है, जिसमें हर साल 20 से 25 गांवों को स्थानांतरित करने का लक्ष्य रखा गया है।

  • प्राथमिकता के क्षेत्र: सबसे पहले यह प्रक्रिया टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्कों से शुरू की जाएगी, क्योंकि यहां मानव और वन्यजीव संघर्ष के मामले ज्यादा सामने आते हैं।
  • नई जगहों पर सुविधाएं: नई बसावट के लिए चौड़ी सड़कें, पानी और बिजली की स्थायी व्यवस्था, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र जैसे बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी जाएगी।

"एमपी @ 2047" विजन डॉक्यूमेंट

इस योजना को "एमपी @ 2047" विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा बनाया गया है, जिसका उद्देश्य अगले 23 वर्षों में प्रदेश को एक विकसित राज्य के रूप में स्थापित करना है। इस दस्तावेज में गांवों को स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यापक योजनाएं शामिल की गई हैं।

500 गांवों के विकास का लक्ष्य

वन विभाग का लक्ष्य है कि 2047 तक प्रदेश के 500 गांवों को जंगलों से हटाकर विकसित स्थलों पर स्थानांतरित किया जाए। यह न केवल ग्रामीणों के जीवन को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि जंगलों और वन्यजीवों के संरक्षण में भी योगदान देगा।


मध्य प्रदेश सरकार और वन विभाग की यह संयुक्त पहल न केवल ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण में भी मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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