फातिमा शेख का जन्म महाराष्ट्र के पुणे में वर्ष 1831 को हुआ था. फातिमा शेख पहली मुस्लिम महिला टीचर के रूप में जानी जाती है।. जब सावित्रीबाई फुले अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ लड़कियों की शिक्षा पर काम कर रही थीं, और लड़कियों के लिए स्कूल खोलनी की योजना बना रही थीं. तभी उनका साथ देने फातिमा शेख और उनके भाई उस्मान शेख सामने आते हैं, उनके द्वारा ज्योतिबा फूले को रहने के लिए भी व्यवस्था की जाती है। और फिर शुरू होता है लड़कियों की पढ़ाई का सिलसिला.
फातिमा शेख के भाई ने सावित्रीबाई को अपने घर मेंबच्चों को पढ़ाने के लिए जगह दी थी
फातिमा शेख ने टीचर बनने की ट्रेनिंग भी ली और लोगों को लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया वक्त के साथ-साथ चीजें बदलने लगी और लोग अपने बेटियों को पढ़ाना शुरू करने लगे. ऐसा कहा जाता है कि जब ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने दलितों और महिलाओं की शिक्षा की बात करना शुरू किया तो उनके इस काम से नाराज होकर उनके परिवार वालों ने उन दोनों को घर से निकाल दिया था, तब दोनों पति-पत्नी को फातिमा शेख के भाई उस्मान शेख ने आगे आकर मदद की थी।
फ़ातिमा शेख ने सावित्रीबाई फुले के साथ अहमदनगर के एक मिशनरी स्कूल में टीचर्स ट्रेनिंग भी ली थी. फ़ातिमा शेख और सावित्री बाई ने लोगों के बीच जाकर उन्हें अपनी लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया. इस कार्य में कुछ लोगों ने उनकी सहायता भी की. दूसरी ओर ज़्यादातर लोगों ने उनका विरोध किया. फ़ातिमा शेख का फुले दम्पति के द्वारा किए जा रहे ज़्यादातर कामों में सहयोग रहा.
ऐसी थी फ़ातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले की दोस्ती
एक समय चब सावित्रीबाई बीमार पड़ गई तो वह कुछ दिन के लिए अपने पिता के घर चली गईं. वहां से वह ज्योतिबा फुले को पत्र लिखा करती थीं. उन पत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार फ़ातिमा शेख ने उस समय स्कूल के प्रबंधन की ज़िम्मेदारी भी उठाई और स्कूल की प्रधानाचार्या भी बनीं. फातिमा शेख आ निधन 9 अक्टूबर 1900 को हुआ। उनकी पुण्य तिथी पर हार्दिक श्रद्धांसुमन अर्पित।
डोमा राव खातरकर
जबलपुर