बेटे का फर्जी एनकाउंटर...अब कोर्ट ने सरकार पर लगाया एक लाख का जुर्माना



मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में लापरवाही बरतने पर राज्य सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि 2012 से एक जांच अधिकारी का विशेष अदालत में पेश न होना 'पुलिस विभाग की संवेदनहीनता के अलावा और कुछ नहीं है।' कोर्ट ने DGP को मामले की जांच के आदेश भी दिए हैं।
यह है मामला

यह मामला 56 वर्षीय विमला देवी द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि 22 अप्रैल 2005 को, डबरा पुलिस स्टेशन के स्थानीय SHO और क्षेत्र के अन्य अधिकारियों ने उनके तीन बेटों को थाने ले गए। 27 अप्रैल को, उनके दो बेटे बालकिशन और कल्ली को छोड़ दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि तीसरे बेटे खुशाली राम को पुलिस हिरासत में रखा गया।
एनकाउंटर में मार दिया गया

विमला देवी ने दावा किया कि उन्हें अपने बेटे की मौत के बारे में एक अखबार की क्लिपिंग से पता चला, जिसमें उसे 'इनामी बदमाश' बताया गया था। इस कथित मुठभेड़ में एक अन्य बदमाश भी मारा गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि अखबार ने तस्वीर में उनके बेटे की पहचान 'कलिया उर्फ ब्रिजकिशोर' के रूप में की थी।
अखबार में जो तस्वीर छपी वह झांसी जेल में बंद


2007 में एक मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया गया था। पुलिस रिपोर्ट के अवलोकन के बाद, यह पता चला कि कलिया उर्फ ब्रिजकिशोर जीवित है और जिला जेल, झांसी में बंद है। विमला देवी ने तत्कालीन एसपी, दतिया एमके मुद्गल और अन्य पुलिस कर्मियों पर उनके बेटे की फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने का आरोप लगाया और जांच की मांग की।
निचली अदालत ने भी लगाया था जुर्माना


मप्र की निचली अदालत ने पहले 2007 में उसके बेटे की मौत पर निष्क्रियता के लिए राज्य को 20,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। इस महीने की शुरुआत में जस्टिस विवेक रूसिया और राजेंद्र कुमार वानी की पीठ ने कहा कि अंतिम क्लोजर रिपोर्ट...की विशेष अदालत द्वारा जांच की जानी आवश्यक है।

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