मध्य प्रदेश में 2022 में हुई शिक्षक भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। भिंड जिले में 157 अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर विकलांग कोटे से नौकरी प्राप्त की थी। जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद इन 157 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर बर्खाश्तगी का प्रस्ताव भेजा गया है।
भिंड जिले में जिस तरीके से इतनी बड़ी मात्रा में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, उससे मेडिकल बोर्ड के सदस्यों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बोर्ड में शामिल डॉक्टरों की जांच व कार्रवाई किए जाने की मांग की जार रही है।
शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े में जिला प्रशासन की तीन सदस्यीय टीम ने जांच कर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को प्रतिवेदन भेजा है। कमेटी ने डॉक्टरों द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट को नियम विरुद्ध बताया है।
जेडी बोले-दोबारा कराना होगा सत्यापन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने कहा दोषी पाए जानें वालों पर सख्त होगी कार्यवाही, नौकरी से बर्खास्त होने के साथ होगी FIR दर्ज।
शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक दीपक पांडेय ने बताया कि ग्वालियर और मुरैना जिले में भी ऐसे मामले सामने आए थे, जहां जांच के बाद दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कराते हुए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
संयुक्त संचालक ने कहा, सभी दिव्यांग शिक्षकों को दोबारा मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता परीक्षण व जारी प्रमाण पत्र का सत्यान कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद ही उनकी भर्ती प्रक्रिया सही मानी जाएगी।
CS अनजान, कलेक्टर ने साधी चुप्पी
अपात्र मिले शिक्षकों को जारी मेडिकल सर्टिफिकेट मेडिकल बोर्ड की बजाय एकल डॉक्टरों ने बनाया है। हालांकि, इन खामियों पर जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से रहे बच हैं। सिविल सर्जन डॉ आरके मिश्रा ने मामले से अनभिज्ञता जताई है। कहा, मामला मेरे समय का नहीं है। जानकारी लेनी पड़ेगी। वहीं कलेक्टर भी चुप्पी साधे हुए हैं।
भिंड जिले में जिस तरीके से इतनी बड़ी मात्रा में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, उससे मेडिकल बोर्ड के सदस्यों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। बोर्ड में शामिल डॉक्टरों की जांच व कार्रवाई किए जाने की मांग की जार रही है।
शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े में जिला प्रशासन की तीन सदस्यीय टीम ने जांच कर आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल को प्रतिवेदन भेजा है। कमेटी ने डॉक्टरों द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट को नियम विरुद्ध बताया है।
जेडी बोले-दोबारा कराना होगा सत्यापन संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने कहा दोषी पाए जानें वालों पर सख्त होगी कार्यवाही, नौकरी से बर्खास्त होने के साथ होगी FIR दर्ज।
शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक दीपक पांडेय ने बताया कि ग्वालियर और मुरैना जिले में भी ऐसे मामले सामने आए थे, जहां जांच के बाद दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कराते हुए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
संयुक्त संचालक ने कहा, सभी दिव्यांग शिक्षकों को दोबारा मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगता परीक्षण व जारी प्रमाण पत्र का सत्यान कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद ही उनकी भर्ती प्रक्रिया सही मानी जाएगी।
CS अनजान, कलेक्टर ने साधी चुप्पी
अपात्र मिले शिक्षकों को जारी मेडिकल सर्टिफिकेट मेडिकल बोर्ड की बजाय एकल डॉक्टरों ने बनाया है। हालांकि, इन खामियों पर जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से रहे बच हैं। सिविल सर्जन डॉ आरके मिश्रा ने मामले से अनभिज्ञता जताई है। कहा, मामला मेरे समय का नहीं है। जानकारी लेनी पड़ेगी। वहीं कलेक्टर भी चुप्पी साधे हुए हैं।