मण्डला से बीजाडांडी मार्ग के सभी पुल उम्र दराज, समय रहते नए पुल बनाये जाने की जन माँग...




रेवांचल टाईम्स - मंडला आदिवासी बाहुल्य जिला मंडला में हर निर्माण कार्य की गुणवत्ता देखने के लिए जिम्मेदारो ने कसम ख़ा रखी है कि जो हो रहा है वह सही हो रहा है हमे तो आप हमारा जो बनता है उसे दे दो और जो भी लीपापोती करना करदो क्योंकि हम तो अपनी ड्यूटी में है और जो पैसा है वह सरकारी है। 

     वही मंडला से जबलपुर नेशनल हाईवे तीस पर सफर करना अपनी जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है। रोजाना हाईवे में कहीं ना कहीं हादसे हो रहे है, वजह गुणवत्ताविहीन मार्ग निर्माण के साथ हाईवे स्थित सभी पुलों की जर्जर हालत है। मार्ग तो हादसे को आमंत्रण दे ही रहे है, इसके साथ ही मंडला से जबलपुर के बीच बने पुल भी खतरनाक हो गए है। पुल भी जर्जर अवस्था में है, यहां पुल की रैलिग भी कमजोर हो चुकी है,सड़क के साथ साथ पुलो में भी गड्ढे हो गए है जो हादसे को न्यौता दे रहे है। बता दे की तत्कालीन मंडला कलेक्टर ने नेशनल हाईवे मार्ग और पुलों का निरीक्षण किया था, जिसमें बबैहा स्थित पुल की रैलिग की मरम्मत करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज दिनांक तक बबैहा पुल की रैलिग का सुधार कार्य नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि एक चौपहिया वाहन की फिर जल समाधि बन गई। इस हादसे में दो युवक अपनी जान बचाकर तो जैसे तैसे बाहर निकल गए लेकिन दो युवक वाहन में ही फंसे रहे। जिसके कारण उन दोनों युवकों की मौत पानी के अंदर वाहन में फंसे रहने के कारण हो गई। यदि पुल पर मजबूत रैलिंग या सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते तो शायद यह हादसा इतना दर्दनाक ना होता। और असमय ये काल के गाल में न समा पाते आखिर इसका जिम्मेदार कौन हैं।


अप्रैल 2021 में भी हुई घटना के बाद भी नही हुआ कोई सुधार...

बताया गया कि विगत दो वर्ष पहले भी बबैहा पुल पर एक कार अनियंत्रित होकर पुल नीचे नदी में गिर गई थी। इस घटना में भी दो युवकों की जल समाधि बन गई थी। जब ये घटना हुई उस समय भी पुल पर मरम्मत का कार्य चल रहा था। घटना रात्रि में घटित हुई थी, रात्रि को युवकों की तालाश की गई लेकिन रात होने के कारण सफलता नही मिल सकी। जिसके बाद दूसरे दिन युवकों को खोजने रेस्क्यू टीम के द्वारा, 12 घंटे की मशक्कत के बाद युवको के शव मिल पाए।


हाईवे में रोड के साथ पुल शामिल नही

वही जानकारी के अनुसार मंडला से जबलपुर के बीच नेशनल हाइवे निर्माण की स्वीकृति के दौरान एमपीआरडी ने जो इस्टीमेट बनाया था, उनमे पुराने पुलो को शामिल नही किया था। मंडला से जबलपुर के बीच पांच पुल नहीं बनाए है। जिसके कारण यह पुल आज जर्जर हो गए है और इसमें विभाग सिर्फ मरम्मत के नाम पर लीपापोती कर रहा है। ये कभी भी अपना अस्तित्व खो सकते है क्योंकि ये पुल पुलिया जो बनाई गई है वह पूर्व में निकलने वाले वाहनों को देखते निर्माण कराया गया है और अब हैवी लोड वाहनों का आवागमन हो रहा है जो ये पुल पुलिया ज्यादा समय तक उन वाहनों का बोझ नही उठा सकेंगे।


बनाये जाए सभी पुल तब मिल पाएगी दुर्घटना ओ से निजात...

वही मंडला से जबलपुर के बीच फूलसागर, बबैहा, लालीपुर, बालई और हिंगना पुलो को नही बनाया गया है।  इन पुलो में केवल मरम्मत की जा रही है। आज इन पुल जर्जर हालात में है। पुलों की दीवार खराब हो गई है। पुल दोनों किनारे के पास सफाई के अभाव में मिट्टी जमी हुई है। पुलों में कई जगह जगह गड्ढे हो गए है और छड़े बाहर का गई है। समय रहते नए पुल बन जाएंगे तो भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। नही तो आये दिन घटना और दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ेगा।


खतरों से भरा है मण्डला जबलपुर नेशनल हाइवे तीस

मण्डला से जबलपुर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। लगभग सात वर्षों से निर्मित यह जबलपुर हाइवे का अधूरा काम अब खतरों से भर गया है, इस सड़क में चलने वाले आये दिन असमय यमराज के आसपास से होकर गुजर रहे हैं। यहां कुड़ामैली के पास जानलेवा गड्ढे हो गए । और जगह जगह से सी सी रोड़ फट गई है और सड़क में जर्क इतना है कि 40/ 50 की स्पीट से भी चलना मुश्किल है, वही दूसरी तरफ जो पुल पुलिया बने हुए है उनमें लगी लोहे की छड़े निकल चुकी है और सड़क और पुलिया में लेबल नही लिया गया है जिस कारण से स्पीड गाड़ी जम्प लेकर अनियंत्रित हो जाती हैं।

  मंडला से जबलपुर के बीच हाइवे का निर्माण कार्य 2015 से हो रहा है। यहां कार्य में हो रही लेटलतीफी और गुणवत्ता का ख्याल भी नही रखने के कारण 7 नवम्बर 2022 को स्थानीय पुलिस ग्राउंड में आये केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ठेका सस्पेंड कर नये सिरे से निर्माण कार्य कराने के निर्देश भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों को दिये थे, जिसके बाद निर्माण एजेंसी ने जीडीसीएल के ठेका को निरस्त कर दिया गया है और अधूरे कार्य और जर्जर पुल पुलिया और सड़क के सुधार के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजा है। बेंलेस वर्क के लिए 53 करोड़ 94 लाख का प्रस्ताव है। 

यहां हाइवे में बड़े-बड़े गड्ढे दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे है। 

वही नेशनल हाईवे प्रारंभ से ही विवादित रही है और निर्माणाधीन सड़क पर गुणवत्ता का ध्यान बिल्कुल भी नही रखा गया है आलम यह है कि नेशनल हाईवे केवल नाम की हाईवे है इस सड़क में वाहन दौड़ नहीं रहे बल्कि यहां वाहन रेंग रहे है। जिससे आवागमन में भारी समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है। और आये दिन गुणवत्ता हीन सड़क के कारण असमय लोग काल के गाल में समा रहे है इसके वावजूद भी किसी जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को देखने की फुर्सत भी नही है। ये जनप्रतिनिधि केवल मतदाताओं से मत माँग कर जितने के बाद इन्हें अपने मतदाताओं के बारे में जरा सी भी फिक्र नही है केवल ये अपना और अपने चहेतों का ध्यान रखते हुए उन्हें पूरा लाभ दिलाने में पीछे नही है जनता की समस्याएं जनता जाने।


जुलाई में 25 लाख रुपए किए थे खर्च

 जानकारी के अनुसार कलेक्टर मण्डला ने इसमें व्यक्तिगत रुचि लेते हुये बारि 25 लाख स्वीकृत कराकर निर्माण करवाया था जिसमे मार्ग की मरम्मत करायी गई थी जिसके के कारण मार्ग में जाम की स्थिति नही बनी। किन्तु विगत दिनो हुई भारी वर्षा हो जाने के यह मार्ग फिर क्षतिग्रस्त हो गया है जिसमे तत्काल सुधार की आवश्यकता है।


दुर्घटना होने पर करे यह उपाय...

वही कारों के जानकार अखिलेश सोनी बताते है कि यदि दुर्घटना होने पर यदि कार पानी में गिर जाए अथवा ऐसी स्थिति में जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो रहा हो तो आप किसी भी कार के आगे एवम पीछे के शीशे तोड़ दे जो कि आसानी से चकनाचूर हो जायेगे जिससे आप बाहर निकल सकते है। कार के गेट के शीशे तोड़ना का प्रयास ना करे यह सामने एवं पीछे के शीशे से कही ज्यादा मजबूत होते है।

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