नूंह: हरियाणा के नूंह जिले के तावड़ू उपमंडल के चाहलका गांव में पिछले दिनों रहस्यमय ढंग से एक ही परिवार में एक के बाद एक चार बच्चों की मौत से पूरे गांव में दहशत का माहौल है। स्वास्थ्य विभाग की टीम जहां गांव में कैंप लगाकर सभी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है, वहीं स्थिति से खौफजदा परिवार अज्ञात बीमारी से अपने बच्चों की जान बचाने को उन्हें रिश्तेदारियों में भेज रहे हैं। हालांकि, अभी बच्चों की मौत की वजह सामने नहीं आई है। स्वास्थ्य विभाग ने मरने वाले बच्चों के खून के नमूने जांच के लिए लैब में भेज दिए हैं।
ग्रामीणों के मुताबिक, चाहलका गांव में मरने वाले चारों बच्चों की उम्र 3 से 9 साल है। गांव में मौत का सिलसिला 20 अक्टूबर को शुरू हुआ। इसके बाद कुछ दिनों के अंतराल में एक के बाद एक मौत होने लगी। 1 नवंबर तक गांव में चार बच्चों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चों में उल्टी-बुखार, पेट दर्द के लक्षण कॉमन थे। जांच रिपोर्ट में लीवर के भी सही ढंग से काम नहीं करने की जानकारी सामने आई थी। मरीजों का इलाज भी करवाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी।
मरने वाले चारों बच्चे एक ही परिवार से थे। गांव के सरपंच समीम अहमद ने बताया कि चारों बच्चे चचेरे भाई-बहन थे। परिवार ने गांव से बाहर खेतों में उन्होंने घर बनाया हुआ है, जहां 20 अक्टूबर को एक लड़के की मौत हुई। उसके दो दिन बाद उसकी बहन ने भी दम तोड़ दिया। दोनों को ही उल्टी-दस्त, बुखार की शिकायत थी। इसके बाद दो और बच्चों की मौत हो गई।
एक ही गांव में चार बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया है। गांव में कैंप लगाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जा रही है और जिन बच्चों को खांसी, बुखार, जुकाम है, उनको दवा दी जा रही है। कोई बच्चा जांच से न छूट जाए, इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर बच्चों की जांच कर रही है। गांव में पीने के पानी के नमूने भी लिए जा रहे हैं। जलजनित बीमारी का पता लगाने के लिए भी ऐसा किया जा रहा है, पानी प्रदूषित होगा तो दवा का छिड़काव किया जा सके।
गांव चाहलका की आबादी करीब 10 हजार है। यहां के लोगों को इलाज के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर गांव मोहम्मदपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद जाना पड़ता है। सरपंच ने स्वास्थ्य विभाग से गांव में प्राथमिक स्वास्थय केंद्र खोलने की मांग की है। विभाग को दो एकड़ जमीन देने को तैयार है।