MP : अंधविश्वास के चलते जान का जोखिम उठा रहे ग्रामीण, दीपावली के बाद निभाई जाती है ऐसी परंपरा



दीपावली का पर्व प्रकाश का पर्व है लेकिन इसी प्रकाश के बीच गांव में अंधविश्वास का ऐसा अंधेरा छाया है कि लोग जान का जोखिम उठाकर पुरानी परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के कई गांव में दीपावली के आसपास गांव गोरी और गोवर्धन पूजा के नाम पर लोग जान का जोखिम उठाते हैं.

धार्मिक नगरी उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर ग्राम लोहरिया और भिड़ावद में पिछले कई सालों से अंधविश्वास के चलते लोग गांव गोरी और गोवर्धन पूजा के नाम पर जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. जान का जोखिम उठाकर ग्रामीण जन परंपराओं का निर्वहन कर रहे हैं. गांव के रहने वाले लाखन ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस परंपरा में शामिल होते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा गांव पर संकट भी नहीं आता है. इस परंपरा पर लोगों का अटूट विश्वास बना हुआ है.

जिला प्रशासन और पुलिस भी बेबस

इस रूढ़िवादी परंपरा को लेकर सबसे खास बात यह है कि जिला प्रशासन और पुलिस को इस परंपरा की पूरी जानकारी है लेकिन अभी तक इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. वहीं, उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि उन्हें परंपरा के बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी हासिल हुई है.

लोगों का किया जाता है स्वागत

जो लोग इस परंपरा में शामिल होते हैं उनका ग्रामीणों द्वारा साफा बांधकर स्वागत किया जाता है. बुधवार को परंपरा में दर्जनों लोग शामिल हुए. गांव के ही राधेश्याम ने बताया कि वह तीसरी बार इस परंपरा के साक्षी बने हैं, उन्हें किसी प्रकार की चोट नहीं आई है हालांकि उन्होंने इस बात को भी स्वीकारा कि यह मन्नत जोखिम भरी है, इसमें लोग चोटिल भी हो सकते हैं.

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