मोदी सरकार ने किया ड्रैगन का पर्दाफाश

 


नई दिल्ली । भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव के बीच ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इसी कड़ी में कई चीनी सोशल मीडिया हैंडल्स पीएलए सैनिकों की कथित तस्वीरों और वीडियों के द्वारा लद्दाख में सीमा पर तनाव को भड़काने का प्रयास कर रहे थे। इस तरह की चीनी चाल को भारत ने फिर ध्वस्त कर दिया है। मोदी सरकार ने एक अभियान के हिस्से के रूप में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के द्वारा फैल रही गलत सूचनाओं पर नकेल कसी है। साथ ही चीन की तरफ से दुष्प्रचार को भी रोका है। इस क्रम में शिकायत मिलने के बाद चीनी सोशल मीडिया की शिकायत उनके ट्विटर हैंडल को सस्पेंड कराया गया है।

केंद्रीय इलेक्ट्रोनिक्स एंड तकनीकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि नए आईटी इंटरमीडिएटरी गाइडलाइंस ने सुनिश्चित किया है कि ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म शिकायतों पर कार्रवाई कर रहे हैं। इसके तहत प्रचार और गलत सूचना में शामिल यूजर्स के हैंडल को सस्पेंड कर रहे हैं। इन हैंडल्स के जरिये नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख सीमा से वीडियो और तस्वीरें पोस्ट की जा रही थी। साथ ही अरुणाचल प्रदेश में चीनी की तरफ से स्थानीय स्तर पर बढ़ता बनाने के साथ ही भारतीय सैनिकों को निशाना बनाने का दावा किया जा रहा था।
ये सस्पेंड किए गए हैंडल चीनी की तरफ से मानचित्रों और तस्वीरों का यूज करके भी जानकारी भी डाल रहे थे। यह एक दुष्प्रचार का हिस्से था जिसमें बीजिंग के आधिकारिक एक्सेस होने के संकेत थे। ट्विटर ने इनके खिलाफ एक्शन लेकर अन्य ट्विटर हैंडल चीनपाक डब्ल्यूडब्ल्यू को सस्पेंड कर दिया। इस ट्विटर हैंडल से जनवरी में तस्वीरें पोस्ट करते हुए दावा किया था कि नए साल की पूर्व संध्या पर गलवान घाटी में चीनी झंडा फहराया गया था। इस पोस्ट के जरिये ही विपक्षी दलों ने भारत में चीन की कथित घुसपैठ को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था।
'इंडियन साइबर डिफेंडर' नाम के एक ग्रुप ने कम से कम दो अकाउंट सस्पेंड कराने का दावा किया है। यह ग्रुप सोशल मीडिया कंपनियों को आपत्तिजनक या गलत पोस्ट की रिपोर्ट करता है। अधिकारियों का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियां अब शिकायतें प्राप्त करने के बाद कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं। इसके पहले कंपनियां शिकायतों को आसानी से नजरअंदाज कर सकती थीं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नए नियमों के तहत, यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जवाबदेह हैं और उन्हें फर्जी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।

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