एक सैटेलाइट तस्वीर जारी हुई है। इससे मालूम चल रहा है कि हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में एक और चक्रवात के उठ रहा है। इसे दक्षिण अफ्रीकन देश सेशेल्स ने 'करीम' नाम दिया है। ये फिलहाल 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है जो बाद में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है।
दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान 'असानी' का असर दिखने लगा है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और तमिलनाडु में तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई है। इस बीच एक सैटेलाइट तस्वीर ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
इस तस्वीर को देखने के बाद मौसम वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में एक और चक्रवात के उठने की बात कही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिंद महासागर में 'असानी' के साथ ही एक और चक्रवात तेजी से आकार ले रहा है। इसे दक्षिण अफ्रीकन देश सेशेल्स ने 'करीम' नाम दिया है। ये फिलहाल 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है जो बाद में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है।
चक्रवाती तूफान 'असानी' 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा की ओर से बढ़ रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि असानी के असर के कारण 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने के साथ बारिश होने के भी आसार है।
मौसम विभाग ने तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश की आशंका जाहिर की है। 10 मई यानी आज इसके आंध्र-ओडिशा तटों से पश्चिम मध्य और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में पहुंचने के आसार हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ेगा। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया, चक्रवात पिछले 6 घंटे के दौरान पश्चिम उत्तर-पश्चिम दिशा में 12 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा है और पुरी के लगभग 590 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम और गोपालपुर, ओडिशा से लगभग 510 किमी दक्षिण-पश्चिम में है। बुधवार से यह चक्रवात कमजोर पड़ने लगेगा।
एक साथ दो तूफान उठना नई बात नहीं
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में विपरीत दिशाओं में घूमने वाले जुड़वा चक्रवात नए नहीं हैं। 2019 में बंगाल की खाड़ी से उठे 'फनी' चक्रवात ने तबाही मचाई थी। उसी दौरान हिंद महासाग के दक्षिणी भाग में चक्रवात लोर्ना ने आकार लिया था। फनी की रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे की थी, जबकि लोर्ना 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ा।
मौसम वैज्ञानिक डॉ. शंभु द्विवेदी के मुताबिक, एक साथ दो चक्रवात यानी जुड़वा तूफान जब भी उठते हैं तो उनकी तस्वीर लगभग एक जैसी ही होती है। दोनों एक ही देशांतर पर घूमते हैं, लेकिन दोनों के दिशा अलग-अलग होते हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में इसे देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि एक साथ दो चक्रवात केवल हिंद महासागर में उठते हैं।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में भी ऐसा देखने को मिलता है। हालांकि, पूर्वी प्रशांत महासागर या अटलांटिक बेसिन में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) भूमध्य रेखा के दक्षिण के निचले अक्षांशों में नहीं होते हैं। ये तीव्र गोलाकार तूफान होते हैं जो कि गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में 119 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ज्यादा और भारी बारिश के साथ उत्पन्न होते हैं। ऐसे तूफान में हवा से नहीं, बल्कि तूफान के बढ़ने, बाढ़, भूस्खलन और बवंडर के जरिए नुकसान ज्यादा होता है।
कहां दिखेगा असर?
चक्रवात असानी का असर भारत के दक्षिणी राज्यों में देखने को मिल रहा है, जबकि चक्रवात करीम ऑस्ट्रेलिया की तरफ आगे बढ़ रहा है। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, चक्रवात करीम जल्द ही कमजोर हो जाएगा। इससे ज्यादा कोई नुकसान की आशंका नहीं है।
मौसम वैज्ञानिकों ने और क्या कहा?
मौसम वैज्ञानिक डॉ. माइकल वेंट्रिस ने वेदर डॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यू में जुड़वा चक्रवात के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, 'हम आमतौर पर मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) के संवहनी-सक्रिय चरण के पारित होने के बाद जुड़वा चक्रवातों को विकसित होते देखते हैं। एमजेओ एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है।'
डॉ. माइकल आगे कहते हैं, 'इसे (एमजेओ) भूमध्य रेखा के पास पूर्व की ओर सक्रिय बादलों और वर्षा के प्रमुख घटक या निर्धारक (जैसे मानव शरीर में नाड़ी (पल्स) एक प्रमुख निर्धारक होती है) के रूप में समझा जा सकता है। यह आमतौर पर हर 50 से 60 दिनों में खुद को दोहराती है। ऐसी स्थिति में कई बार ज्यादा नुकसान होता है।'
चक्रवात आपस में बात भी करते हैं
डॉ. माइकल के अनुसार, 'जब ये जुड़वा तूफान एक-दूसरे के करीब होते हैं, यानी 1000 किमी के भीतर तो ये एक-दूसरे के साथ बातचीत भी करते हैं। हालांकि, असानी और करीम के बीच बातचीत की संभावना नहीं है क्योंकि इनके बीच की दूरी 2800 किमी से अधिक है।' माइकल कहते हैं कि हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में चक्रवात का समय नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। इसलिए मई में चक्रवात करीम का उठना एक अपवाद है।
हालांकि, हिंद महासागर के उत्तरी भाग में सालभर चक्रवात तूफान आते रहते हैं। इसमें बंगाल की खाड़ी, अरब सागर शामिल हैं। यहां चक्रवात के दो मौसम हैं। एक अप्रैल से एक जून तक और दूसरा सितंबर से दिसंबर तक।
दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवाती तूफान 'असानी' का असर दिखने लगा है। आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और तमिलनाडु में तेज हवाओं के साथ बारिश शुरू हो गई है। इस बीच एक सैटेलाइट तस्वीर ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
इस तस्वीर को देखने के बाद मौसम वैज्ञानिकों ने हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में एक और चक्रवात के उठने की बात कही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिंद महासागर में 'असानी' के साथ ही एक और चक्रवात तेजी से आकार ले रहा है। इसे दक्षिण अफ्रीकन देश सेशेल्स ने 'करीम' नाम दिया है। ये फिलहाल 112 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है जो बाद में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है।
चक्रवाती तूफान 'असानी' 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तटीय आंध्र प्रदेश और ओडिशा की ओर से बढ़ रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि असानी के असर के कारण 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने के साथ बारिश होने के भी आसार है।
मौसम विभाग ने तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश की आशंका जाहिर की है। 10 मई यानी आज इसके आंध्र-ओडिशा तटों से पश्चिम मध्य और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में पहुंचने के आसार हैं। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ेगा। मौसम वैज्ञानिकों ने बताया, चक्रवात पिछले 6 घंटे के दौरान पश्चिम उत्तर-पश्चिम दिशा में 12 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ रहा है और पुरी के लगभग 590 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम और गोपालपुर, ओडिशा से लगभग 510 किमी दक्षिण-पश्चिम में है। बुधवार से यह चक्रवात कमजोर पड़ने लगेगा।
एक साथ दो तूफान उठना नई बात नहीं
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूमध्य रेखा के उत्तर और दक्षिण में विपरीत दिशाओं में घूमने वाले जुड़वा चक्रवात नए नहीं हैं। 2019 में बंगाल की खाड़ी से उठे 'फनी' चक्रवात ने तबाही मचाई थी। उसी दौरान हिंद महासाग के दक्षिणी भाग में चक्रवात लोर्ना ने आकार लिया था। फनी की रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे की थी, जबकि लोर्ना 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ा।
मौसम वैज्ञानिक डॉ. शंभु द्विवेदी के मुताबिक, एक साथ दो चक्रवात यानी जुड़वा तूफान जब भी उठते हैं तो उनकी तस्वीर लगभग एक जैसी ही होती है। दोनों एक ही देशांतर पर घूमते हैं, लेकिन दोनों के दिशा अलग-अलग होते हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में इसे देखा जा सकता है। ऐसा नहीं है कि एक साथ दो चक्रवात केवल हिंद महासागर में उठते हैं।
पश्चिमी प्रशांत महासागर में भी ऐसा देखने को मिलता है। हालांकि, पूर्वी प्रशांत महासागर या अटलांटिक बेसिन में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) भूमध्य रेखा के दक्षिण के निचले अक्षांशों में नहीं होते हैं। ये तीव्र गोलाकार तूफान होते हैं जो कि गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में 119 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ज्यादा और भारी बारिश के साथ उत्पन्न होते हैं। ऐसे तूफान में हवा से नहीं, बल्कि तूफान के बढ़ने, बाढ़, भूस्खलन और बवंडर के जरिए नुकसान ज्यादा होता है।
कहां दिखेगा असर?
चक्रवात असानी का असर भारत के दक्षिणी राज्यों में देखने को मिल रहा है, जबकि चक्रवात करीम ऑस्ट्रेलिया की तरफ आगे बढ़ रहा है। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, चक्रवात करीम जल्द ही कमजोर हो जाएगा। इससे ज्यादा कोई नुकसान की आशंका नहीं है।
मौसम वैज्ञानिकों ने और क्या कहा?
मौसम वैज्ञानिक डॉ. माइकल वेंट्रिस ने वेदर डॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यू में जुड़वा चक्रवात के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा, 'हम आमतौर पर मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (एमजेओ) के संवहनी-सक्रिय चरण के पारित होने के बाद जुड़वा चक्रवातों को विकसित होते देखते हैं। एमजेओ एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है।'
डॉ. माइकल आगे कहते हैं, 'इसे (एमजेओ) भूमध्य रेखा के पास पूर्व की ओर सक्रिय बादलों और वर्षा के प्रमुख घटक या निर्धारक (जैसे मानव शरीर में नाड़ी (पल्स) एक प्रमुख निर्धारक होती है) के रूप में समझा जा सकता है। यह आमतौर पर हर 50 से 60 दिनों में खुद को दोहराती है। ऐसी स्थिति में कई बार ज्यादा नुकसान होता है।'
चक्रवात आपस में बात भी करते हैं
डॉ. माइकल के अनुसार, 'जब ये जुड़वा तूफान एक-दूसरे के करीब होते हैं, यानी 1000 किमी के भीतर तो ये एक-दूसरे के साथ बातचीत भी करते हैं। हालांकि, असानी और करीम के बीच बातचीत की संभावना नहीं है क्योंकि इनके बीच की दूरी 2800 किमी से अधिक है।' माइकल कहते हैं कि हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में चक्रवात का समय नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। इसलिए मई में चक्रवात करीम का उठना एक अपवाद है।
हालांकि, हिंद महासागर के उत्तरी भाग में सालभर चक्रवात तूफान आते रहते हैं। इसमें बंगाल की खाड़ी, अरब सागर शामिल हैं। यहां चक्रवात के दो मौसम हैं। एक अप्रैल से एक जून तक और दूसरा सितंबर से दिसंबर तक।