एनएसई (NSE) में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई (CBI) ने आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) को गिरफ्तार कर लिया है। वह एनएसई की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण के चीफ स्ट्रेटजिक ऑफिसर थे। माना जा रहा है कि चित्रा ने हिमालय के जिस योगी से सलाह लेने की बात कही थी, वह सुब्रमण्यम ही थे।
हाइलाइट्स
सीबीआई (CBI) के सूत्रों के मुताबिक सुब्रमण्यम को गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले सुब्रमण्यम से सीबीआई के अधिकारियों ने चेन्नई में तीन दिनों तक पूछताछ की थी। इस दौरान उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि उन्हें एनएसई के समूह परिचालन अधिकारी पर नियुक्ति किस तरह मिली। इसके अलावा तत्कालीन प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण के साथ उनके जुड़ाव के बारे में भी पूछताछ की गई।
योगी होने का शक
इससे पहले नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला ने सेबी को पत्र लिखकर कहा था कि रहस्यमयी हिमालयी 'योगी' जिसने कथित तौर पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण को महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह दी थी, वह कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम हो सकते हैं।
सेबी के एक हाल में आए एक आदेश में यह मामला सामने आया। इसके मुताबिक 2013 में एनएसई की तत्कालीन सीईओ एंड एमडी रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर नियुक्त किया था जबकि इससे पहले ऐसी कोई पोस्ट नहीं थी। सुब्रमण्यम Balmer Lawrie में काम कर रहे थे जहां उनका सालाना पैकेज 15 लाख रुपये था। लेकिन एनएसई में 1.38 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। बाद में वह एनएसई में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर बन गए थे।
पति-पत्नी को एक साथ मिली थी नियुक्ति
आनंद को एक अप्रैल 2013 को एनएसई में नियुक्त किया गया और उसी दिन उनकी पत्नी सुनीता आनंद को भी 60 लाख रुपये के पैकेज पर चेन्नई के क्षेत्रीय कार्यालय में बतौर सलाहकार नियुक्त किया गया था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के पैकेज में भारी तब्दीली आई। सुनीता आनंद की सैलरी मात्र तीन साल में करीब तिगुनी बढ़कर 2016 तक 1.33 करोड़ रुपये हो गई। एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक सुनीता की सैलरी 60 लाख रुपये, एक अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक 72 लाख रुपये, अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक 1.15 करोड़ रुपये और अप्रैल 2016 से 1.33 करोड़ रुपये थी।
हाइलाइट्स
- NSE घोटाले में आनंद सुब्रमण्यम को सीबीआई ने गिरफ्तार किया
- एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण के चीफ स्ट्रेटजिक ऑफिसर थे
- संदेह है कि हिमालय का योगी कोई और नहीं बल्कि सुब्रमण्यम ही हैं
सीबीआई (Central Bureau of Investigation) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में कथित अनियमितताओं के मामले में आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार कर लिया है। वह एनएसई की पूर्व सीईओ और एमडी चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) के चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर (CSO) थे। माना जा रहा है कि चित्रा ने हिमालय के जिस योगी से सलाह लेने की बात कही थी, वह सुब्रमण्यम ही थे।
सीबीआई (CBI) के सूत्रों के मुताबिक सुब्रमण्यम को गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले सुब्रमण्यम से सीबीआई के अधिकारियों ने चेन्नई में तीन दिनों तक पूछताछ की थी। इस दौरान उनसे यह जानने की कोशिश की गई कि उन्हें एनएसई के समूह परिचालन अधिकारी पर नियुक्ति किस तरह मिली। इसके अलावा तत्कालीन प्रबंध निदेशक एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण के साथ उनके जुड़ाव के बारे में भी पूछताछ की गई।
योगी होने का शक
इससे पहले नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व चेयरमैन अशोक चावला ने सेबी को पत्र लिखकर कहा था कि रहस्यमयी हिमालयी 'योगी' जिसने कथित तौर पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चित्रा रामकृष्ण को महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह दी थी, वह कोई और नहीं बल्कि आनंद सुब्रमण्यम हो सकते हैं।
सेबी के एक हाल में आए एक आदेश में यह मामला सामने आया। इसके मुताबिक 2013 में एनएसई की तत्कालीन सीईओ एंड एमडी रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को चीफ स्ट्रेटजी ऑफिसर नियुक्त किया था जबकि इससे पहले ऐसी कोई पोस्ट नहीं थी। सुब्रमण्यम Balmer Lawrie में काम कर रहे थे जहां उनका सालाना पैकेज 15 लाख रुपये था। लेकिन एनएसई में 1.38 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। बाद में वह एनएसई में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर बन गए थे।
पति-पत्नी को एक साथ मिली थी नियुक्ति
आनंद को एक अप्रैल 2013 को एनएसई में नियुक्त किया गया और उसी दिन उनकी पत्नी सुनीता आनंद को भी 60 लाख रुपये के पैकेज पर चेन्नई के क्षेत्रीय कार्यालय में बतौर सलाहकार नियुक्त किया गया था। कुछ समय बाद पति-पत्नी के पैकेज में भारी तब्दीली आई। सुनीता आनंद की सैलरी मात्र तीन साल में करीब तिगुनी बढ़कर 2016 तक 1.33 करोड़ रुपये हो गई। एक अप्रैल 2013 से 31 मार्च 2014 तक सुनीता की सैलरी 60 लाख रुपये, एक अप्रैल 2014 से 31 मार्च 2015 तक 72 लाख रुपये, अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक 1.15 करोड़ रुपये और अप्रैल 2016 से 1.33 करोड़ रुपये थी।