आज से 20-25 साल पहले जब हम स्कूल में पढ़ते थे तब बच्चों को जमीन पर बैठकर ही पढ़ाया लिखाया जाता है. यही नहीं स्कूल में जमीन पर बैठने के लिए बच्चों को घर से बोरी या कोई अन्य कपड़ा बैठने के लिए लेकर जाना पड़ता था. लेकिन अब वक्त बदल गया है. स्कूल के साथ-साथ बच्चे भी हाईटेक हो गए हैंं. आज हम आपको दुनिया के कुछ ऐसे स्कूलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. जहां बच्चे खुशी-खुशी पढ़ने जाते हैं. इन्हीं में से एक स्कूल है सडबरी स्कूल.
दरअसल, अमेरिका में स्थित इस स्कूल में बच्चे खुद से अपना टाइम टेबल बनाते हैं. यही नहीं बच्चे ही खुद ही तय करते हैं कि उन्हें किस दिन क्या पढ़ना है. इसके अलावा बच्चों के द्वारा ये भी तय किया जाता है कि उन्हें पढ़ाई करने के कौन से तरीके अपनाने हैं और वो खुद को किस तरह से आंकना चाहते हैं.
द स्कूल ऑफ सिलिकॉन वैली
बता दें कि द स्कूल ऑफ सिलिकॉन वैली भी अमेरिका में है. यह स्कूल पढ़ाई के परंपरागत तरीकों के बिल्कुल खिलाफ है. इस विद्यालय में बच्चों की पढ़ाई के लिए उच्च स्तर की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. यहां पर बच्चों को आई पैड, थ्री-डी मॉडलिंग और संगीत की मदद से पढ़ाया जाता है.
मकोको फ्लोटिंग स्कूल
बता दें कि ये स्कूल नाइजीरिया में है. अक्सर स्कूलों की कमी के चलते बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जा पाते. या स्कूल दूर होने की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. लेकिन नाइजीरिया में ये समस्या नहीं है. यहां एक ऐसा स्कूल है, जो पानी पर तैरता रहता है. इसमें एक बार में 100 बच्चे पढ़ाई करते हैं. यह स्कूल पानी के घटते-बढ़ते जल स्तर पर भी आराम से टिका रहता है और खराब मौसम भी इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाता है.
झोंगडोंग: द केव स्कूल
ये स्कूल चीन में है. इस स्कूल करीब 186 छात्रों को शिक्षा देता था और इसमें 8 शिक्षक पढ़ाते थे. दरअसल, यह स्कूल एक प्राकृतिक गुफा के अंदर था, जिसे साल 1984 में खोजा गया था. यहां पर ऐसे बच्चों को शिक्षा दी जाती थी, जो स्कूल नहीं जा सकते हैं, लेकिन साल 2011 में चीन की सरकार ने इस स्कूल को बंद करवा दिया. इसलिए अब इस स्कूल में कोई बच्चा नहीं पढ़ता.
द कार्पे डियम स्कूल
अमेरिका के ओहिओ में स्थित इस स्कूल में क्लासरूम की जगह करीब 300 क्यूबिकल हैं, जो बिल्कुल किसी ऑफिस की तरह दिखती हैं. इस स्कूल का यह मानना है कि हर किसी को अपने स्तर पर चीजें सीखनी चाहिए. अगर बच्चों को किसी तरह की कोई परेशानी होती है, तो इंस्ट्रक्टर आकर तुरंत उनकी मदद कर देते हैं. वरना बच्चे खुद से ही यहां आकर पढ़ाई करते हैं जैसे स्टूडेंट्स लाइब्रेरी में पढ़ रहे हों.