यहां होती है काले गेहूं की खेती, गंभीर बीमारियों के लिए है रामबाण

 


अधिकतर हर जगह गेहूं(Wheat) का रंग सुनहरा होता है, लेकिन आपको इस बात का पता नहीं होगा कि अब काले रंग के गेहूं का पैदावार भी होने लगी है। यूपी के गोरखपुर में चौरीचौरा के झंगहा इलाके के अमहिया नाम के गांव में किसानों ने ऐसे गेहूं की खेती शुरु कर दी है, जिनका रंग काला होगा। इस प्रजाति के गेंहू में ना सिर्फ जिंक होगा बल्कि आयरन समेत कई अन्य तरह के पोषक तत्व भी पाए जाएंगे इसके अलावा ये गेहूं शुगर, ब्लड प्रेशर, गठिया, मोटापा(Sugar, blood pressure, arthritis, obesity) आदि रोगों पर भी काबू पाने के लिए मददगार होगा। साधारण सुनहरे गेहूं की अपेक्षा में ये काला गेहूं तीन, चार गुना ज्यादा महंगा हो सकता है, इसका मतलब है कि इस गेहूं से किसानों को फायदा होगा।

बता दें कि पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट (नाबी) ने इस तरह के गेहूं के बारे में पता लगाया है। इस गेहूं की खास बात इसका काला रंग है, लेकिन गेहूं की बालिया साधारण गेहूं के जैसे ही होंगी। बस पकने के बाद गेहूं के दाने काले हो जाएंगे। इन प्रजाति के गेहूं के बारे में गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. डीके सिंह ने बताया है कि फलों, सब्जियों और अनाजों का रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर करता है। इन काले गेहुंओं में एंथोसायनिन नाम के पिगमेंट्स होते हैं। एंथोसायनिन पिगमेंट की अधिक मात्रा के कारण ही फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग नीला, बैंगनी या काला हो जाता है।

इसके आगे प्रो. डीके सिंह ने बताया कि इन गेहूं में एंथोसायनिन नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट भी है। इसकी वजह से यह सेहत के लिए  बहुत फायदेमंद होते हैं। साधारण गेहूं में एंथोसायनिन महज 5 पीपीएम ही होता है, लेकिन इन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है। अगर आप इन गेहुओं को खरीदना चाहते है तो इनको फ्लिपकार्ट, अमेजन वेबसाइट्स से भी बिक्री शुरु हो गई है। इस गेहूं का आटा 200 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।

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