ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय देवता माना जाता है। कहा जाता है कि शनि देव जातक को कर्म के हिसाब के फल देते हैं। शनि राहु, चंद्र और सूर्य के साथ मिलकर खतरनाक योग बनाता है। जिससे व्यक्ति को जीवन में कई उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है। शनि की विपरीत स्थिति के कारण व्यक्ति को आर्थिक व पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जानिए शनि के इन दुष्प्रभाव डालने वाले योग के बारे में-
1. शनि का क्रूर ग्रह राहु के साथ युक्ति करना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि शनि और राहु के साथ होने से जातक को जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शनि और राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जातक को नियमित काले रंग के वस्त्रों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। शनिवार शाम को पीपल के नीचे सरसों के चार दीपक जलाने चाहिए। शनिवार को सरसों का तेल दान करना चाहिए।
2. कुंडली में शनि और चंद्र के मिलने वाला विष योग शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, विष योग के बनने से जातक शराब और नशीली दवाओं का आदी हो जाता है। बुरी संगति और अपराध करने लगता है। विष योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जातक को सोमवार का उपवास रखना चाहिए। दूध और जल का सेवन करना चाहिए। सोमवार को शिव जी को गन्ने का रस अर्पित करने से लाभ मिलता है।
3. सूर्य और शनि मिलकर विष योग का निर्माण करते हैं। ज्योतिष में इस योग को अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस योग से व्यक्ति को अपार संघर्ष करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं होती है। इस योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सूर्य भगवान को हर दिन जल चढ़ाना चाहिए। शाम को पीपल में जल अर्पित करना चाहिए।