फ़िनलैंड, (फ़िनिश: Suomen tasavalta सुओमेन तासावाल्ता या Suomi सुओमी) आधिकारिक तौर पर फ़िनलैंड गणराज्य उत्तरी यूरोप के फेनोस्केनेडियन क्षेत्र में स्थित एक नॉर्डिक देश है। इसकी सीमा पश्चिम में स्वीडन, पूर्व में रूस और उत्तर में नॉर्वे स्थित है, जबकि फिनलैंड खाड़ी के पार दक्षिण में एस्टोनिया स्थित है। देश की राजधानी हेलसिंकी है।
2013 से ही फिनलैंड की सबसे छोटी नगरपालिकाओं में से एक लेस्टिजारवी में पैदा होने वाला हर बच्चा 10 हजार यूरो यानी करीब सात लाख 86 हजार रुपये का है। लेस्टिजारवी के प्रशासकों ने गांव में घटती जन्म दर और सिकुड़ती आबादी से निपटने का फैसला किया था। उससे एक साल पहले गांव में सिर्फ एक बच्चा पैदा हुआ था। नगरपालिका ने 'बेबी बोनस' नाम से एक प्रोत्साहन शुरू किया। यह तय हुआ कि हर बच्चे के जन्म पर अगले 10 साल में 10 हजार यूरो दिए जाएंगे। यह उपाय कारगर रहा। योजना शुरू होने के बाद से नगरपालिका में अब तक 60 बच्चे पैदा हो चुके हैं। उससे पहले के सात साल में सिर्फ 38 बच्चों का जन्म हुआ था। करीब 800 लोगों के गांव में इतने नये बच्चों के जन्म से गांव को बढ़ावा मिला है।बेबी बोनस पाने वाले 50 साल के जुक्का-पेक्का टुइक्का और 48 साल की उनकी पत्नी जेनिका कृषि उद्यमी हैं। उनकी दूसरी बेटी जेनेट 2013 में पैदा हुई थी। जन्म के साथ ही उसे 'टेन थाउजेंड यूरो गर्ल' का उपनाम मिल गया था। टुइक्का कहते हैं, 'हमारी उम्र बढ़ रही थी और कुछ समय से हम दूसरे बच्चे की योजना बना रहे थे। इसलिए मैं नहीं कह सकता कि वास्तव में पैसे ने हमारे फैसले को प्रभावित किया।' फिर भी टुइक्का को लगता है कि पैसे देने का फैसला अहम कदम है जिससे पता चलता है कि स्थानीय नेता परिवारों के लिए मदद का हाथ बढ़ाने में दिलचस्पी रखते हैं। टुइक्का के परिवार को अब तक 6,000 यूरो मिले हैं, जिसे उन्होंने बचा रखा है। वे इस पैसे का इस तरह इस्तेमाल करेंगे, जिससे भविष्य में सबको फायदा हो।
फिनलैंड की कई अन्य नगर पालिकाओं ने भी कुछ सौ यूरो से लेकर 10 हजार यूरो तक का बेबी बोनस शुरू किया है। इन स्थानीय प्रोत्साहनों के बावजूद फिनलैंड में राष्ट्रीय जन्म दर नहीं बढ़ रही। यूरोप के कई अन्य देशों की तरह पिछले दशक में इसमें बड़ी गिरावट आई है। 2018 में यह दर प्रति महिला 1.4 तक गिर गई। दस साल पहले यह 1.85 थी।
फिनलैंड में परिवार की मदद के लिए कई कार्यक्रम हैं। जिन परिवारों में बच्चे का जन्म होने वाला हो उसे बेबी बॉक्स स्टार्टर किट दिया जाता है। प्रति बच्चे हर महीने 100 यूरो की मदद दी जाती है और माता-पिता को 70 फीसदी तनख्वाह के साथ साझे तौर पर नौ महीने तक की छुट्टी मिलती है।
फिनलैंड में परिवार कल्याण पर यूरोपीय संघ के औसत से ज्यादा सरकारी पैसा खर्च किया जाता है। इसके बावजूद टैंपेरे यूनिवर्सिटी में सामाजिक विज्ञान की लेक्चरार रित्वा नैटकिन को लगता है कि वहां अन्य नॉर्डिक देशों के मुकाबले पारिवारिक नीतियां पीछे चल रही हैं। मिसाल के लिए, स्वीडन में बच्चे के माता-पिता को मिलने वाली छुट्टियां ज्यादा उदार हैं।
टैंपेरे चाइल्ड बेनिफिट और होम-केयर भत्ते का उदाहरण देती हैं जो समय के साथ अपनी चमक खो चुके हैं, क्योंकि या तो उनमें बढ़ोतरी नहीं हुई या उनको कम किया गया। नैटकिन आर्थिक और जलवायु की अनिश्चितता को भी जन्म दर घटने की वजह मानती हैं।
क्या नये माता-पिता को पैसे देने की लेस्टिजारवी की नीति जन्म दर बढ़ाने में कारगर हो सकती है? नैटकिन का कहना है कि परिवारों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन बढ़ाने से कुछ हद तक जन्म दर बढ़ाने में मदद मिल सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि सिर्फ पैसे के लालच में बेबी बूम शुरू हो जाए, क्योंकि बच्चों के प्रति लोगों का नजरिया बदल चुका है। टुइक्का को यकीन है कि बच्चों के बारे में कुछ लोगों के फैसलों पर पैसे की मदद का सकारात्मक असर पड़ा है, लेकिन उनको भी नहीं लगता कि सिर्फ यह एक तरीका उनको बच्चे पैदा करने के लिए तैयार करेगा।
फिनलैंड की खाड़ी के दूसरी तरफ तस्वीर थोड़ी सी अलग है, जहां बाल्टिक देश एस्टोनिया ने पिछले डेढ़ दशक में जन्म दर बढ़ाने में कामयाबी पाई है। इस बढ़ोतरी का थोड़ा श्रेय सरकारी नीतियों को जाता है, जिसके तहत परिवार कल्याण नीतियों में पैसे लगाए गए हैं। खास तौर पर बड़े परिवारों के लिए वित्तीय मदद बढ़ाई गई है।
2004 में पारिवारिक छुट्टियों को उदार बनाया गया था जिसके तहत डेढ़ साल तक पूरी तनख्वाह के साथ छुट्टी दी जाती है। 2017 में एस्टोनिया ने बच्चे के लिए मासिक लाभ योजना शुरू की। पहले बच्चे के लिए 60 यूरो, दूसरे बच्चे के लिए 60 यूरो और तीसरे बच्चे के लिए 100 यूरो प्रति माह।
सरकार तीन या ज्यादा बच्चों वाले परिवारों को इनाम देती है। उन्हें प्रति महीने 300 यूरो का मासिक बोनस मिलता है। इस तरह तीन बच्चों वाले एस्टोनियाई परिवार को हर महीने कुल मिलाकर 520 यूरो का पारिवारिक लाभ मिलता है।