दिल्ली। केंद्र सरकार की नई वाहन कबाड़ नीति से बड़ा परिवर्तन होने वाला है। अगले पांच साल में लगभग सवा दो करोड़ वाहन कबाड़ में बिकने की स्थिति में होंगे। कबाड़ में बिक जाने के बाद वाहनों को प्रदूषण बहुत कम हो जाएगा। आईआईटी बॉम्बे और इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के सर्वे के अनुसार वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 70 फीसदी प्रदूषण 15 से 20 साल पुराने वाहनों की वजह से है। नई नीति से पर्यावरण प्रदूषण में बहुत बदलाव देखे जाने का अनुमान है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2015 तक 87 लाख वाहन कबाड़ हो गये थे। सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक ऐसे वाहनों का आंकड़ा 2.18 करोड़ तक होने का अनुमान है। सवा दो करोड़ वाहनों को कबाड़ करने की जरूरत पड़ेगी। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय कहती हैं कि इस नीति से देश में वाहनों की वजह से होने वाले प्रदूषण में बहुत ही कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना को केंद्र सरकार ने लागू करके प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा काम किया है। अनुमिता के मुताबिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 70 फीसदी प्रदूषण पुराने वाहनों की वजह से सबसे ज्यादा होता है।
वाहनों से लगातार होने वाले प्रदूषण और उसके असर को लेकर आईआईटी मुंबई और इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन ने 2013 और 2014 में एक सर्वे किया। सर्वे में दस से पंद्रह साल पुराने वाहन सबसे ज्यादा प्रदूषण करते हैं। आईआईटी मुंबई की मल्टीसिटी रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से पहले के वाहन जो अभी भी सड़को पर दौड़ रहे हैं उनसे तय मानकों की तुलना में 70 फीसदी प्रदूषण ज्यादा होता है। जबकि इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के सर्वे के मुताबिक 2013 में एक चैथाई वाहन ऐसे थे जो 2003 से पहले के थे जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की भी एक रिपोर्ट के मुताबिक सन 2000 से पहले निर्मित वाहनों से होने वाला प्रदूषण आज के वाहनों की तुलना में 25 गुना ज्यादा होता है। ऐेसे पुराने वाहनों को हटाना ही बेहतर विकल्प हैं। उन्होंने बताया इस वक्त बीएस-6 स्टैंडर्ड की गाड़ियां बन रही हैं, इनकी तुलना अगर बीएस-4 स्टैंडर्ड की गाड़ियों से करते हैं तो पाएंगे कि इस वक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण में 70 फीसदी से ज्यादा का सुधार हुआ है।