ये था दुनिया का सबसे खूंखार सीरियल किलर, जिसनें सैकड़ों बच्चों को उतार दिया था मौत के घाट


 

आपने अबतक दुनिया के सबसे खतरनाक और खूंखार सीरियल किलर्स के बारे में सुना होगा. लेकिन ऐसे सीरियल किलर के बारे में नहीं सुना होगा, जिसने बड़ों को नहीं बल्कि बच्चों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया हो. दरअसल, हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के खूंखार सीरियल किलर जावेद इकबाल की. जिसने एक दो नहीं बल्कि 100 बच्चों की बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था. सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि उसने सौ बच्चों को मारने की कसम खाई थी. जब उसने सौ बच्चों को मार दिया तो उसने सरेंडर कर दिया. बता दें कि यह घटना दिसंबर 1999 की है. लाहौर के एक उर्दू अखबार के संपादक को एक चिट्ठी मिली. जिसमें लिखा था.

'मेरा नाम जावेद इकबाल है और मैंने 100 बच्चों का कत्ल किया है और उनकी लाश को तेजाब डालकर गला दिया.' जावेद ने अपनी चिट्ठी में ये भी बताया कि उसने जितने भी बच्चों का कत्ल किया था, उसमें से अधिकतर घर से भागे हुए या अनाथ थे. उसने बच्चों को मारने वाली जगह के बारे में भी बताया था. इसके अलावा जावेद ने अपने जुर्म को कबूल करते हुए एक चिट्ठी लाहौर पुलिस को भी भेजी थी. लेकिन शुरु में पुलिस ने जावेद की चिट्ठी को गंभीरता से नहीं लिया. मगर अखबार के संपादक ने इस बात को गंभीरता से लिया और चिट्ठी में बताई गई जगह पर अपना एक पत्रकार भेजा. उस जगह पर पहुंचने के बाद पत्रकार ने एक घर के अंदर खून का निशान देखा. वहां दो बड़े बैग में बच्चों के जूते और कपड़े पड़े थे.

साथ ही वहां एक डायरी भी थी, जिसमें बच्चों के नाम और उनके बारे में जानकारी लिखी हुई थी. वहीं घर के बाहर हाइड्रोक्लोरिक एसिड से भरे दो कंटेनर भी मिले. जिसमें बच्चों की हड्डियों के ढांचे थे. ये सब देखने के बाद पत्रकार तुरंत अपने दफ्तर पहुंचा और संपादक को सारी बात बताई. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलने पर पुलिस की टीम जावेद इकबाल के उस ठिकाने पर पहुंची और कत्ल के सारे सबूत बरामद किए. इसके साथ ही पुलिस को वहां एक नोटबुक मिला, जिसमें चिट्ठी में लिखी बातों के साथ ये भी लिखा गया था कि कत्ल के सबूत के तौर पर मैंने कुछ लाशों को छोड़ रखा है, जिन्हें मैं ठिकाने नहीं लगा पाया. मैं रावी नदी में कूदकर आत्महत्या करने जा रहा हूं.

पुलिस ने इसपर तुरंत एक्शन लेते हुए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया और रावी नदी का कोना-कोना छान मारा. यह पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन था, लेकिन जावेद की लाश कहीं नहीं मिली. लेकिन इस दौरान पुलिस ने जावेद के दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया. उनसे पूछताछ के दौरान ही इसमें से एक ने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली. इन सब के बीच जावेद इकबाल उसी उर्दू अखबार के दफ्तर में पहुंच गया. वह संपादक से मिला और इंटरव्यू देने की बात कही और कहा कि वह सरेंडर करने आया है. जब उसका इंटरव्यू खत्म हुआ, तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने जब जावेद से बच्चों का कत्ल करने की वजह के बारे में पूछा, तो उसने बेहद ही हैरान करने वाली बात बताई. जावेद ने बताया कि जब मेरी उम्र 20 साल थी, तब मुझे साजिश के तहत फंसाकर दुष्कर्म के इल्जाम में जेल भेज दिया गया. जबकि मैंने ऐसा कुछ किया ही नहीं था. उसने बताया कि इस दौरान उसकी मां हमेशा जेल में उससे मिलने आती थी, लेकिन बेटे की रिहाई के इंतजार में एक दिन उसकी मां की मौत हो गई, जिसके बाद उसने कसम खाई कि जैसे उसकी मां ने रोते-रोते अपनी जान गंवाई है, वैसे ही वो कम से 100 बच्चों की माताओं को रुलाएगा.

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