कैंसर ऐसी खतरनाक बीमारी हैं जिसका अभी तक पुख्ता ईलाज नहीं मिला है. हालांकि, शुरूआती स्टेज में अगर यह पता चल जाता है कि किसी को कैंसर हैं तो वो दवाईयों के सहारे इस जानलेवा बीमारी से जंग जीतने में सफल हो जाता है. लेकिन फिर भी इस दौरान जो दवाइंया उसे दी जाती है उससे उसके शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है.
कैंसर जैसी खतरनाकत बीमारी किसो को भी हो सकती है क्योंकि यह किसी व्यक्ति के खान पान के तरीके पर निर्भर करती है. लेकिन, यह आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे की हजारों सालों पहले धरती पर मौजूद डायनासोर को भी कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होती थी. द लैंसेट ऑन्कोलॉजी के अगस्त अंक में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
कनाडा के शोधकर्ताओं ने वैज्ञानिक पत्रिका द लैंसेट ऑन्कोलॉजी के अगस्त अंक में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया है कि उन्होंने डायनासोर में कैंसर के पहले मामले की खोज कर ली है. सेंट्रोसॉरस के एक पैर की हड्डी को 1989 में कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के जीवाश्म वैज्ञानिकों ने खोजा था.
7.6 करोड़ साल पुराने डायनासोर के पैर की इस हड्डी के बारे में विशेषज्ञों ने शुरू में माना कि हड्डी में एक फ्रैक्चर हुआ था जो ठीक हो गया था. लेकिन हालिया परिक्षण के अनुसार, एक माइक्रोस्कोप के तहत और उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए, जैसे कि उच्च-रिज़ॉल्यूशन टोमोग्राफी, से खुलासा हुआ कि हड्डी पर एक सेब का आकार की गांठ थी, जो वास्तव में एक कैंसर ट्यूमर था.
लेंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, सेंट्रोसॉरस डायनासोर की हड्डी में जो विकृति नजर आ रही थी वो असल में ओस्टियो सारकोमा के कारण हुई थी. ओस्टियो सारकोमा हड्डी का एडवांस कैंसर होता है.
ऑन्टेरिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. मार्क क्राउथर, जो अध्ययन के लेखकों में से एक हैं उनके मुताबिक,"डायनासोर का जीवन आसान नहीं था, उनमें से कई में हीलींग फ्रैक्चर या हड्डी में संक्रमण जैसी समस्या होती थी."
उन्होंने आगे कहा,"इस तरह की प्राचीन हड्डियों पर, "कैंसर के सबूत खोजना मुश्किल है". ऐसे कई ट्यूमर सॉफ्ट टिश्यू में होते हैं जो आसानी से जीवाश्म में तब्दील नहीं होते हैं. इसलिए जीवाश्म से हमें कैंसर के प्रमाण मिले हैं. रिसर्च में आए नतीजों में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि कैंसर कोई नई बीमारी नहीं है, इससे जुड़े कॉम्पलिकेशन जानवरों में भी पाए जाते रहे हैं.
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