विशाखापट्टनम | आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित एक रसायन फैक्टरी से देर रात फिर गैस के रिसाव की खबर आई। अग्निशमन अधिकारी संदीप आनंद ने कहा कि एहतियातन तीन किमी तक गांव खाली करा रहे हैं। लेकिन पुलिस ने कहा कि मेंटिनेंस के चलते रिसाव की अफवाह उड़ी है। आंध्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ व पीड़ितों को 10-10 लाख की मदद का एलान किया। गैस का रिसाव उसी जगह से शुरू हुआ जहां से सुबह स्टाइरीन लीक हुआ था। हालांकि जिले के अग्निशमन अधिकारी संदीप आनंद के मुताबिक एनडीआरएफ के सहयोग से लगभग 50 फायर कर्मचारी ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं। हमने 2-3 किमी के दायरे में गाँवों को सुरक्षित ओर सावधानियों के लिए खाली करने का आदेश दिया है। साथ ही 2 फोम टेंडर सहित 10 और फायर टेंडर भी मौके पर मौजूद हैं। एम्बुलेंस किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार हैं।
जहरीली गैस का रिसाव, 11 लोगों की मौत और 800 अस्पताल में भर्ती
बता दें कि इससे पहले बृहस्पतिवार की सुबह आंध्र प्रदेश में प्लास्टिक फैक्टरी में जहरीली गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत हो गई। विशाखापत्तनम से करीब 30 किमी दूर आरआर वेंकटपुरम गांव में स्थित दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी पॉलीमर्स के संयंत्र में बुधवार और बृहस्पतिवार की दरमियानी रात 2:30 बजे के आसपास जहरीली गैस स्टाइरीन का रिसाव हुआ। भोपाल गैस त्रासदी के करीब 36 साल बाद हुए इस हादसे में दो बच्चे भी मारे गए हैं। 25 लोग वेंटिलेटर पर हैं, इनमें 15 बच्चों की हालत नाजुक है। दो की मौत तो अफरातफरी के बीच गांव से भागते वक्त बोरवेल में गिरने से हो गई। दम घुटने और बेहोशी की शिकायत पर 800 से ज्यादा को भर्ती कराया गया है।राष्ट्रीय आपदा बचाव बल (एनडीआरएफ) ने गांवों से तकरीबन 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला। इनमें से ज्यादातर को बेसुध हालत में दरवाजा तोड़कर घर से बाहर निकाला गया। सुबह करीब 5:30 बजे तक जब हालात काबू में आए, तब तक यह जहरीली गैस स्टाइरीन चार किमी के दायरे में पांच गांवों और 20 कॉलोनियों तक फैल गई। शुरुआती जांच में पता चला है कि हादसा गैस के लिए वॉल्व नियंत्रण को ठीक से नहीं संभाले जाने की वजह से हुआ। इस दौरान 5000 टन के दो टैंक से जहरीली गैस लीक हुई। संयंत्र को लॉकडाउन के चलते 40 दिन तक बंद रखने के बाद बृहस्पतिवार को ही खोले जाने की तैयारी की जा रही थी।
गश खाकर गिर रही थीं महिलाएं बुजुर्ग और बच्चे,मवेशी भी बेसुध
- हादसे के बाद सुबह जब लोग जागे तो सड़कों पर बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे गश खाकर गिर रहे थे। कोई सड़क पर पड़ा था तो कोई हांफ रहा था।
- लोगों को दम घुटने के साथ ही आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, उल्टियां होने और शरीर पर चकत्ते पड़ने जैसी मुश्किलें आ रही थीं।
- गांवाें में हर ओर मवेशी और पक्षी बेसुध से पड़े नजर आ रहे थे। इनमें से कई की तो मौत हो चुकी थी।
- केस दर्ज ः एलजी पॉलीमर्स पर केस दर्ज कर लिया है। मामले की 5 सदस्यीय कमेटी जांच करेगी।
स्टाइरीन गैस: प्लास्टिक, फाइबर ग्लास, रबर व पाइप बनाने में इस्तेमाल होती है।
10 मिनट का है रिएक्शन टाइम
- तुरंत बेहोशी व दस मिनट में मौत हो सकती है।
- कुछ ही मिनटों में श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती है। उल्टी, जलन और त्वचा पर चकत्ते होते हैं।
- स्टाइरीन गैस 181 साल पहले खोजी गई थी।
36 साल पहले : भोपाल में 3,787 मौतें
2 दिसंबर, 1984 : रात को यूनियन कार्बाइड फैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ। सैकड़ों लोगाें की नींद में ही मौत हो गई थी। कुल 3,787 मौतें हुई और एक लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे।