नई दिल्ली । महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी जांच में अड़ंगा डाल रहे हैं और वे पुलिस को धमकी दे रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुंबई पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने याचिका दायर किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील सचिन पायलट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर जो रोक लगाई है उसका वे गलत फायदा उठा रहे हैं। याचिका में अर्णब गोस्वामी पर जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है। याचिका में मांग की गई है कि अर्णब गोस्वामी को जांच में बाधा डालने से रोका जाए। याचिका में कहा गया है कि एफआईआर के संबंध में पूछताछ के बाद अर्णब गोस्वामी रिपब्लिक भारत चैनल पर मुंबई पुलिस पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि वो भेदभाव कर रही है। यहां तक कि मुंबई पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी कई ट्वीट भेजे गए हैं कि पुलिस भेदभाव कर रही है और वो बेवजह अर्णब गोस्वामी से घंटों पूछताछ कर रही है।
याचिका में कहा गया है कि पूछता है भारत डिबेट शो में अर्णब गोस्वामी मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कई झूठे आरोप लगा रहे हैं। अपने डिबेट शो के जरिये अर्णब गोस्वामी जांच अधिकारी को टारगेट करना चाहते हैं। वो एक पत्रकार के रुप में पुलिस को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि पिछले 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी के खिलाफ सभी राज्यों में दर्ज एफआईआर में किसी भी तरह की कार्रवाई पर तीन हफ्ते की रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी को निर्देश दिया था कि वो इस दौरान ट्रायल कोर्ट या हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर करें।
कोर्ट ने केंद्र सरकार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ औऱ राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने नागपुर में दर्ज एफआईआर को मुंबई ट्रांसफर करने का आदेश दिया था । कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के दफ्तर की सुरक्षा का निर्देश दिया था । कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता अपनी याचिका में संशोधन करे। सभी एफआईआर को एक साथ जोड़े जाने की प्रार्थना करें, उसके बाद आगे की सुनवाई होगी। एक ही मामले की जांच कई जगह नहीं हो सकती है।
दरअसल अर्णब गोस्वामी ने अपनी याचिका में अपने खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी है। अर्णब गोस्वामी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ टिप्पणी करने पर महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में एफआईआर दर्ज किए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि उनके लिए कई सारे कोर्ट में जाकर पेश होना संभव नहीं है। याचिका में कहा गया है कि ये प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन की कोशिश है।