पत्थर उबालती रही, एक माँ तमाम रात..जी हाँ ये सचमुच में हुआ है



नश्तर जबलपुरी का एक शेर है-

पत्थर उबालती रही, एक माँ तमाम रात | 

बच्चे फरेब खाके, चटाई पे सो गए|| 

कई लोगो को ये शेर घटना का अतिरेकपूर्ण विवरण लग सकता है जो निश्चित ही शायर के किसी काल्पनिक घटनाक्रम का, या उसकी सोच का...शाब्दिक चित्रण हो सकता है. पर ये भी सच है की इस शेर ने शायर को रातों रात प्रसिद्ध कर दिया..आज शेर की लिखे तकरीबन दो-तीन दशक हो गए. हालाकि गूगल पर सर्च करने पर इस शेर का क्रेडिट अज्ञात पर दर्ज है पर चूँकि मै इस शहर का लोकल हूँ इसलिए मुझे व्यक्तिगत तौर पे ये मालूम था की ये शेर नश्तर साहब का है बाकी कंफ़र्म साहित्यकार 'सलमा खातून' से किया है... पर क्या किसी ने सोचा होगा की शायर का ये शेर कहीं सच भी हो सकता है..और वो भी वहां जहाँ शायद ही किसी ने इस शेर को सुना हो

जी हाँ एक घटना कोरोना की इस विषम परिस्थिति में यहाँ से 5 हजार किलोमीटर मीटर दूर केन्या में घटित हुई है जहाँ भूख से तड़प रहे थे 8 बच्चे सुलाने के लिए.. मां पत्थर उबालकर करती रही.. खाना बनाने का नाटक



समाचार कुछ इस तरह है
कोरोना वायरस ने लोगों को पूरी तरह असहाय बना दिया है। इस जानलेवा महामारी को रोकने के लिए कई देशों में लॉकडाउन है। हालात ऐसे बिगड़ गए हैं कि लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए पैसे भी नहीं है। कोरोना वायरस ने लोगों को इतना लाचार और बेबस कर दिया है उन्हें अपने बच्चों के तसल्ली के लिए पत्थर उभालने पड़ रहे हैं। ऐसी ही हैरान कर देने वाली खबर कीनिया की है। जहां घर में राशन नहीं होने के कारण बच्चे भूख से तड़प रहे थे। ऐसे में विधवा मां ने उन्हें बहलाने के लिए पत्थर पकाने का नाटक करना पड़ा। 
आठ बच्चों की मां है महिला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महिला का नाम पेनिना बहाती कित्साओ है। वह विधवा है और उनके आठ बच्चे हैं। पेनिना लोगों के कपड़े धोकर जीवन-यापन करती है। कोरोना संक्रमण के बाद उनके पास कोई काम नहीं है। उनके लिए मुश्किलें इतनी बढ़ गई कि अपने बच्चों को खिलाने के लिए खाना नहीं था। इसलिए अपने बच्चों को बहलाने के लिए पत्थर उबालने लगी।  पेनिना बहाती कित्साओ ने सोचा कि पकाने देख बच्चे खाने का इंतजार कर सो जाएंगे। 
पड़ोसी ने बनाया वीडियो
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो पेनिना बहाती कित्साओ की पड़ोसन प्रिस्का मोमानी ने बना लिया और स्थानीय मीडिया को बता दिया। पेनिना की कहानी सुनकर काफी लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। एक पड़ोसी ने बैंक में उनका खाता खुलवासा जिससे उन्हें पैसे मिल सके। लोग पेनिना को मोबाइल एप के जरिए पैसे भेज रहे हैं। 
पेनिना ने कीनिया की न्यूज वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कहा कि मेरे बच्चों को पता चल गया था कि मैं पत्थर पकार उन्हें बहला रही हूं। क्योंकि मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। पेनिना बहाती कित्साओ कीनिया के मोम्बासा शहर में दो कमरों के घर में रहती हैं। उनके मकान में बिजली और पानी की सुविधा भी नहीं है। 
मूल खबर दैनिक भास्कर से साभार जिसका लिंक ये है



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